बीते कुछ दशकों में शिशु मृत्यु दर में गिरावट देखने को मिली है। बावजूद इसके आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो भारत में हर 36 शिशुओं में से एक की मृत्यु जीवन के पहले वर्ष के भीतर ही हो जाती है।
बीते दस वर्षों में आईएमआर में 36 फीसदी की गिरावट
आंकड़ों के मुताबिक, बीते दस वर्षों में आईएमआर में लगभग 36 फीसदी की गिरावट देखी गई है। पिछले दशक में अखिल भारतीय स्तर पर आईएमआर 44 से घटकर 28 हो गया है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 48 से घटकर 31 हो गया है और शहरी क्षेत्रों में यह 29 से घटकर 19 है। जिससे क्रमश: 35 फीसदी और 34 फीसदी की दशकीय गिरावट दिखती है।
सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर मध्यप्रदेश में
हालांकि बुलेटिन में कहा गया है कि ‘पिछले दशकों में आईएमआर में गिरावट के बावजूद प्रत्येक 36 शिशुओं में से एक राष्ट्रीय स्तर पर (ग्रामीण-शहरी) अपने जीवन के पहले वर्ष के भीतर ही मर जाते हैं। 2020 में मध्यप्रदेश (43) के लिए अधिकतम आईएमआर और मिजोरम (3) के लिए न्यूनतम दर्ज की गई।
ग्रामीण और शहरी इलाकों में कम हुआ जन्म दर अंतर
अखिल भारतीय स्तर पर जन्म दर पिछले पांच दशकों में गिरावट देखने को मिली है। साल 1971 में जन्म दर 36.9 फीसदी थी जो घटकर 2020 में 19.5 फीसदी हो गई। इन वर्षों में ग्रामीण-शहरी अंतर भी कम हुआ है। हालांकि बीते पांच दशकों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर अधिक बनी हुई है।
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