झारखंड के बड़े बिल्डर और रांची नगर निगम के कई टाउन प्लानर अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संदेह के दायरे में हैं. रांची के बड़े रीयल इस्टेट डेवलपरों में शाकंभरी बिल्डर्स, पंचवटी बिल्डर्स, इलिका इस्टेट्स, एसजे एग्जोटिका, एनके कंस्ट्रक्शन, पंचरत्ना डेवलपर्स, मिलन पोद्दार, पनाश रीयलटर्स, फीकोंस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, प्रणामी समूह, डीके समूह, अनिल कुमार झा, दुर्गा डेवलपर्स समेत अन्य बड़े नामों पर ईडी बुनियादी जानकारी जुटा रहा है. इनके खिलाफ जल्द ही साझा कार्रवाई करने की योजना भी बनायी जा रही है. वैसे एनके कंस्ट्रक्शन और पंचवटी बिल्डर्स समेत एसजे एग्जोटिका के खिलाफ ईडी की तरफ से कार्रवाई की जा चुकी है. इन पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है. अब इनके माध्यम से बड़ी मछलियों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है.
ईडी को है जानकारी, बड़े बिल्डरों के संपर्क हवाला कारोबारियों तक
ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों को यह खबर मिली है कि राजधानी के बड़े बिल्डरों का संपर्क हवाला कारोबारियों से भी है. ये हवाला कारोबारी कोलकाता में हैं और वहीं से कई जाने-माने बिल्डरों का लेन-देन संचालित होता है और सफेदपोश बिल्डर इससे बच जाते हैं. हवाला कारोबारियों के अलावा कोलकाता की शेल कंपनियों के जरिये भी बड़े बिल्डरों तक पैसा पहुंच रहा है, जो बड़े नेताओं से लेकर कई अन्य हैं. इन लोगों ने एक संगठित गिरोह बना रखा है, जो कोड वर्ड में बातें कर घटनाओं को अंजाम देते हैं.
बड़े बिल्डर ही जमीन के कागजातों की करते हैं हेरफेर
नगर निगम के अधिकारियों ने जो ईडी को जवाब दिया है, उसके जरिये यह पता चला है कि नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी जमीन के नेचर से लेकर अन्य दस्तावेजों में छेड़-छाड़ कर भवन प्लान की औपचारिकताएं पूरी करते हैं. रांची नगर निगम को भवन प्लान स्वीकृत करने के लिए जमीन का म्यूटेशन, दाखिल-खारिज रसीद और निबंधित दस्तावेज ही जरूरत पड़ती है. इसके आधार पर ही भवन प्लान पारित कर दिया जाता है. नगर निगम के इस सिस्टम पर ही ईडी की नजर है और इसमें ये भी देखा जा रहा है कि कैसे नगर निगम के टाउन प्लानरों ने एक लाख वर्ग फीट से अधिक का भवन प्लान स्वीकृत किया.
नगर निगम के आधा दर्जन से अधिक टीपी पर है नजर
रांची नगर निगम के आधा दर्जन से अधिक टाउन प्लानरों (टीपी) पर ईडी की नजर है. इसमें पूर्व टीपी रहे मनोज कुमार, घनश्याम अग्रवाल, वर्तमान में टीपी का काम देख रहे श्रीकांत रमन और जल संसाधन विभाग से आये एक अन्य कार्यपालक अभियंता भी शामिल हैं. ईडी की तरफ से 2017 के बाद से अब तक पास किये गये बड़े नक्शे (भवन प्लान ) को मंजूरी दिये जाने की सूची भी मांगी गयी है. यह भी आंकड़े मंगाये गये हैं कि विवादित भूमि जिसमें लीज की जमीन, खासमहाल लीज, सिलिंग एक्ट, भूंइहरी, सीएनटी एक्ट की जमीन में कैसे नक्शा पारित कर दिया गया. नगर निगम के अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी किये जाने की बातें भी सामने आ रही हैं.
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