उत्तराखंड से एक खबर आ रही है. एक स्कूल ऐसा है जहाँ बच्चे पढने के लिए नहीं आते, बल्कि उस स्कूल के दरवाज़े अगर खुले भी है तो सिर्फ मतदान के लिए. बच्चों के लिए सभी स्कूल के दरवाज़े हर दिन खोले जाते है. लेकिन उत्तराखंड में एक स्कूल है जो सिर्फ 9 सालों में 5 बार खुला है वो भी सिर्फ मतदान के लिए. यह स्कूल 2013 में ही बंद कर दिया गया था. यह स्कूल चंपावत के खुनदी गाँव का सरकारी प्राथमिक स्कूल है. लेकिन इस स्कूल का इस्तेमाल अभी मतदान केंद्र के रूप में किया जा रहा है.
स्कूल बना मतदान केंद्र
चंपावत विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए मतदान केंद्र के रूप में तब्दील किया गया है. इस बार चंपावत के सीट से सीएम पुष्कर सिंह धामी अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव लड़ रहे है. चंपावत में ये पहला स्कूल नहीं है जो बंद पड़ा हुआ है. बच्चों के स्कूल में पढने आने का सिलसिला थम सा गया था इसीलिए 2013 में इस स्कूल को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. उत्तराखंड के इस जिले में अब तक लगभग 43 प्राथमिक स्कूल बंद हो चुकी है. इसका पहला कारण बच्चों के स्कूल आने की संख्या का लगातार घटना, और दूसरी वजह लोगों का इस जगह से कहीं और चले जाना भी है. बेहतर जीवन और सुख-सुविधा के लिए लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे.
इस गाँव को छोड़कर लोग क्यों पलायन कर रहे है. इस गाँव से मोटर वाली सड़क यानि चंपावत-खेतीखान मार्ग की दुरी कम से कम 17 किलोमीटर है. ये गाँव दिगगई पंचायत के अंतर्गत आता है. इस गाँव में 2010 में एक प्राइवेट स्कूल खुला था. जिसके बाद बच्चे सरकारी स्कूल को छोड़कर प्राइवेट स्कूल में जाने लगे. इसीलिए कई स्कूल खुले और कई बंद हो गए. समय के साथ इस गाँव में काफी कुछ बदल गया. लोग सुख-सुविधा को देखते हुए दुसरे जगहों पर जाने लगे.
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