झारखंड के साहेबगंज जिले के जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार का नाम इन दिनों चर्चा में इसलिए अधिक है, क्योंकि इन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सम्मन देने के कई दिनों बाद बजायी थी हाजिरी. इनके बारे में कहा जाता है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में इनकी साहेबगंज पोस्टिंग हुई थी. इससे पहले ये रामगढ़ के डीएमओ थे. साहेबगंज जाने के बाद इन्होंने अपना जलवा दिखाया, जो सबकी जुबान पर है. ईडी ने लगातार तीन दिनों तक इनसे पूछताछ की है. इनके पड़ोसियों का कहना है कि जब इनकी चलती थी, तो वे मंहगी जगुआर कार से चलते थे. डेढ़ साल पहले जगुआर कार को हटाया.
अब महंगी इनोवा क्रिस्टा एसयूवी से चलते हैं. क्रिस्टा के अलावा मारूति का एक्सएलएक्स कार भी है, जिसकी कीमत 15 लाख है. क्रिस्टा की कीमत 30 लाख से अधिक है. इतना सब कुछ होने के बाद विभूति कुमार ईडी दफ्तर स्कूटी से गये थे. 18 वर्षों से ये हिनू के किलबर्न कालोनी (लोवर शिवपुरी) में रह रहे हैं. इनके घर से ईडी का दफ्तर 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है. ईडी ने पहली बार इन्हें 13 मई को सम्मन भेजा था. फिर दुबारा सम्मन 20 मई को भेजा गया था.
पहुंच और पैरवी पर बढ़ाया अपना कद
डीएमओ विभूति कुमार ने पहुंच और पैरवी के जरिये अपना कद बढ़ाया. अपनी जाति का फायदा उठा कर बड़े लोगों से हमेशा संबंध बनाये रखा, जिसमें राजनेता, अधिकारी और सत्ता के गलियारे के बड़े लोग शामिल थे. इन्हें लोगों को अपने प्रभाव में लाने की महारत हासिल है. इसकी वजह से ही इन्होंने साहेबगंज में रहते हुए ढाई वर्ष से कुछ अधिक के कार्यकाल में करोड़ों रुपये के पत्थर की अवैध ढुलाई करवायी. वह भी सड़क मार्ग और साहेबगंज के गंगा नदी घाट से. इनके कार्यकाल में ही साहेबगंज के गंगा नदी में एक मालवाहक जहाज, जिसमें 10 से अधिक हाईवा सवार थे, डुब गया था. जिसको लेकर लोकसभा से लेकर राज्य मुख्यालय तक में बावेला मचा था. रोजाना साहेबगंज से 500 से अधिक पत्थर से लदे वाहनों को दूसरे राज्यों और बांग्लादेश तक भेजा जाता था. इनके कार्यकाल में अवैध माइनिंग काफी तेजी से बढ़ा.
402 से अधिक स्टोन चिप्स के खदान पर कागजों में 125
कहने को साहेबगंज में 402 से अधिक स्टोन चिप्स के खदान हैं. पर कागजों में रनिंग माइंस 125 ही है. इतना ही नहीं बाकी बंद पड़े खदानों से अवैध खनन और उसे कट साइज कर मेटल चिप्स बना कर बाहर खपाने के गंठजोड़ में विभूति कुमार शुमार थे. इनको राजनीतिक वरदहस्त भी प्राप्त था. खास कर सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों की मदद से अवैध पत्थर खनन और वाहनों से इसकी ढुलाई को एक संगठित तौर पर इन्होंने स्थापित किया था. इसमें सभी तरह के लोगों के शामिल होने की बातें कही जा रही है. जानकार बताते हैं कि ज़िले में सरकारी पैसे की लूट और खनिज सम्पदा की लूट, दो ही समस्याएं हैं. पाकुड़ में विश्व स्तरीय ग्रेनाइट उपलब्ध था जिसको बड़े तथाकथित खान मालिक, जो कानूनी रूप से मात्र खान पट्टेदार थे, कौड़ियों के भाव ट्रेन से बाहर भेज रहे थे.
माल गाड़ी में भी वज़न की हेरा-फेरी कर, उस ज़माने में भी करोड़ों का चूना राजकीय राजस्व को लगा रहे थे. उसी तरह साहेबगंज स्टोन चिप्स के लिए जाना जाता है. साहेबगंज में राजमहल की पहाड़ियों का अस्तित्व अब खतरे में दिख रहा है. साहेबगंज जिले को प्रकृति ने खूबसूरती से संवारा है. इसके एक ओर पवित्र गंगा नदी का बहाव है. तो दूसरी ओर राजमहल की पहाड़ी श्रृंखलाएं हैं. लेकिन अब इसकी खूबसूरती और पहाड़ों को पत्थर माफियाओं की बुरी नजर लग गई है. बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध पत्थर खनन के कारण ऐसा लग रहा है की बहुत जल्द ही राजमहल की पहाड़ियां इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी.
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