झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर रांची के उपायुक्त छवि रंजन के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की है. खान आवंटन मामले यानी 727 ऑफ 2022 की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने एक बार फिर रांची डीसी की तरफ से दायर की गयी एफीडेविट पर नाराजगी जतायी. पीठ ने 19 मई को भी सुनवाई के दौरान कहा था कि कैसे एक चार्जशीटेड व्यक्ति इतने गंभीर मामले में पूरक शपथ पत्र दायर कर रहा है.
इतना ही नहीं इस अधिकारी को कैसे खान आवंटन मामले की इतनी व्यक्तिगत जानकारी है. कोर्ट ने आज कहा कि करप्टेड व्यक्ति कैसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम से आवंटित खदान मामले की इतनी जानकारी रखते हैं और कैसे इस रिट याचिका को खारिज कराने की वकालत कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि एक तरफ केस की वैधता की दुहाई सरकार की ओर से पक्ष कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कह रहे हैं कि हाईकोर्ट रूल को फोलो नहीं कर रहा है.
राज्य सरकार ने करप्टेड लोगों को कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रखा
हाईकोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रिट याचिका 727 ऑफ 2022, 4290 ऑफ 2021 और अरुण कुमार दुबे की याचिका की वैधता जांच करें. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी की. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीलबंद रिपोर्ट पर शीर्ष अदालत ने किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की है. कोर्ट ने कहा कि एक जून को वैधता पर अंतिम बहस होगी, उससे पहले दलीलें पूरी तरह पूरी कर ली जाये.
राज्य सरकार ने करप्टेड लोगों को कई महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रखा है. जब इनसे पूछा जाता है, तो कहते फिरते हैं ह्वाट सो एवर. कोर्ट में ईडी की तरफ से सोलीसिटर जनरल ने कहा कि अदालत पहले यह तय कर लें कि दायर तीनों याचिका की वैधता क्या है. ईडी ने इस संबंध में अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया है. रांची के उपायुक्त की तरफ से इंद्रजीत सिन्हा ने कोर्ट में बहस की.
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