आमतौर पर किसी भी तरह के वायरल संक्रमण में, अगर वह गंभीर श्रेणी में आता है तो उसका इनक्यूबेशन पीरियड यानी वायरस के संपर्क में आने के बाद लक्षण उभरने की अवधि 5 से 7 दिन मानी जाती है. कोरोना में यह अवधि 14 दिन की मानी गई थी. इसी तरह टायफाइड से लेकर चिकनपॉक्स जैसी वायरस जनित बीमारियों में इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर 21 दिन का माना जाता है. इन दिनों यूरोप समेत पूरी दुनिया में चिंता का विषय बने मंकीपॉक्स के लिए भी अब 21 दिन की दूरी का परहेज बताया गया है.
21 दिन आइसोलेशन
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या उसके परिवार में से कोई मंकीपॉक्स संक्रमित किसी शख्स के सीधे संपर्क में आया है तो उसे अगले 21 दिनों तक यात्राएं नहीं करनी चाहिए. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और 12 साल से कम उम्र के बच्चों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. चेचक जैसी ये बीमारी मंकीपॉक्स यौन संबंध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के शरीर के निकले लिक्विड के संपर्क में आने से फैल सकती है.
यूके में अब तक मंकीपॉक्स के 20 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. यूरोप, अमेरिका, कनाडा, इज़रायल और ऑस्ट्रेलिया आदि जगहों पर इसके 80 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. इसके लक्षणों में तेज बुखार, बदन दर्द, चकत्ते उभरना शामिल है, जो बाद में फफोलों में तब्दील हो जाते हैं. ज्यादातर लोगों में यह 2 से 4 हफ्तों में साफ हो जाते हैं. लेकिन कुछ मामलों में स्थिति गंभीर हो सकती है.
वायरस के बदले रूप से सब हैरान
मंकीपॉक्स बीमारी सबसे पहले बंदर में पाई गई थी, तभी इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया. जानवरों से इंसानों में ये बीमारी आमतौर पर नहीं फैलती. इसके ज्यादातर संक्रमण मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं. लेकिन इस बार इसका रूप कुछ बदला हुआ है. ये काफी तेजी से फैल रहा है. इसके बदले रूप से वैज्ञानिक भी हैरान हैं. मंकीपॉक्स अभी अचानक क्यों फैल रहा है,
इसे लेकर अभी कुछ ठोस वजह नहीं मिली है. हालांकि ऐसे कयास हैं कि वायरस ने खुद में कुछ बदलाव कर लिए हैं. या इसका नया वैरियंट भी हो सकता है. एक विचार यह भी है कि शायद वायरस को सही वक्त पर सही जगह फैलने का मौका मिल गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसकी रोकथाम पर काम कर रहा है.
समलैंगिकों में ज्यादा फैल रही बीमारी
BBC से बातचीत में UKHSA की प्रमुख चिकित्सा सलाहकार डॉ सुजान हॉपकिन्स ने बताया कि मंकीपॉक्स के अभी जो मामले सामने आए हैं या जिन लोगों में लक्षण दिखे हैं, उनमें समलैंगिकों और बायसेक्सुल पुरुषों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में इस समुदाय के लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है. ज्यादातर मामले शहरी क्षेत्रों में पाए गए हैं. डॉ. हॉपकिन्स ने कहा कि हमारी सलाह है कि ऐसे लोग, जो नियमित तौर पर अलग-अलग लोगों से यौन संपर्क बनाते हैं, या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ करीबी संपर्क में हों जिन्हें वह जानते नहीं हैं और अगर उन्हें शरीर पर चकत्ते दिखने लगें तो तुरंत अस्पताल में संपर्क करना चाहिए.
चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स पर कारगर
डॉ हॉपकिन्स ने बताया कि फिलहाल मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन जो लोग सीधे तौर पर इसके वायरस के संपर्क में आए हैं, उन्हें स्मॉलपॉक्स (चेचक) की वैक्सीन दी जा रही है. ये वैक्सीन मंकीपॉक्स की रोकथाम में 85 फीसद कारगर पाई गई है. उन्होंने बताया कि आम लोगों को ये वैक्सीन नहीं दी जा रही है. बस उन्हीं लोगों को दी जा रही है जिनमें लक्षण उभरने का ज्यादा खतरा है. ऐसे लोगों में लक्षण उभरने के चार-पांच दिन पहले एहतियातन ये वैक्सीन लगाई जा रही है. इसके असर को देखते हुए कई देशों ने इसका अपने यहां भंडारण करना शुरू कर दिया है.
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