जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने मैनहर्ट मामले में राज्य सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है. सरयू ने कहा है कि अगर 21 मई तक मैनहर्ट घोटाला में दोषसिद्ध अभियुक्तों के विरूद्ध मुक़दमा चलाने की ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो वे सरकार को बाध्य करने के लिए कोर्ट जायेंगे. सरयू ने इसके लिए विधानसभा में सरकार के किये वादों का हवाला दिया है. स्पष्ट है कि विधानसभा में जो घोषणा सरकार ने की थी, वह पूरा नहीं होने से सरयू राय ने नाराज है. देखा जाए, तो एक माह के बजट सत्र 2022 में सत्ता पक्ष की तरफ से कई घोषणाएं हुई थी, उसपर आज तक कोई पहल नहीं के बराबर हुई है. अगर किसी में शुरू भी हुई तो वह किसी न किसी कारण से फंस गयी.
आलमगीर ने दोषियों पर कार्रवाई की बात की
21 मार्च को सरयू राय ने मैनहर्ट मामले में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाकर मुद्दा उठाय़ा था. उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने आरंभिक जांच पूरा कर लिया है. जवाब दाखिल होने के बाद भी मैनहर्ट मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई नहीं की जा रही है. प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा था कि दो महीने के भीतर सभी आरोपियों से जवाब लेकर कार्रवाई की जाएगी. आज तक कोई पहल नहीं होने से नाराज सरयू राय ने बीते रविवार को सरकार को अल्टीमेटम दिया है.
घोषणा के बाद भी बालू घाटों का टेंडर नहीं
9 मार्च को विधानसभा पर बालू घाटों के संचालन के लिए टेंडर नहीं निकाले जाने का मुद्दा उठा था. विधायक बिरंची नारायण, सुदेश महतो, इरफान अंसारी सहित सरयू राय ने यह मुद्दा उठाया था. इसपर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने भरोसा दिलाया कि 15 दिन के भीतर सभी घाटों से संबंधित प्रक्रिया पूरी कर व्यवस्था को सुचारू कर दिया जाएगा. टेंडर निकाले जाने की कुछ प्रक्रिया आगे भी बढ़ी. पर पंचायत चुनाव के कारण झारखंड निर्वाचन आयोग ने सरकार को बालू घाटों का टेंडर करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इससे अब राज्य में बालू का संकट उत्पन्न हो जायेगा.
विस्थापन आयोग के गठन पर भी कोई पहल नहीं
विस्थापन आयोग गठन को लेकर 8 मार्च को मुख्यमंत्री ने कहा था कि मामला सरकार के पास विचाराधीन है. जल्द ही सरकार इसपर निर्णय लेने जा रही है. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने सरकार ने पूछा था कि राज्य के लगभग डेढ़ लाख परिवार विस्थापित हैं. ऐसे में सरकार कब तक आयोग का गठन करेगी. जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने जल्द ही आयोग गठन की बात कहीं थी. 2 माह बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है.
कोरोना से आर्थिक दुष्प्रभाव के आकलन के लिए अध्ययन का वादा अधूरा
कोरोना काल में राज्य में हुए आर्थिक दुष्प्रभाव का अध्ययन कराने की बात वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने की थी. विधायक प्रदीप यादव के मुताबिक, 2021 में देश के निचले तबके के 50 % लोगों की वार्षिक आमदनी 15 % घटी है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. क्या सरकार इसका अध्ययन कराएगी. इसपर डॉ उरांव ने यह बयान दिया था. लेकिन 2 माह बाद भी इस दिशा में कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिला है.
ग्रामीण इलाकों में परिवहन सेवा शुरू करने का कार्य अब तक नहीं
परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने 16 मार्च को सदन में कहा था कि सरकार झारखंड के ग्रामीण इलाकों में परिवहन की व्यवस्था दुरुस्त करेगी. राज्य में जल्द ही ग्रामीण बस परिवहन परियोजना शुरू होने वाली है. जिससे गांव को शहर से कनेक्ट करने की सुविधा मिलेगी. लेकिन 2 माह बाद तक इस दिशा में कोई पहल शुरू ही नहीं हुई है.
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