झारखंड के बालू घाटों में अवैध खनन का काम नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) और सर्वोच्च न्यायालय के स्थगनादेश पर भी धड़ल्ले से जारी है. जानकारी के अनुसार 2017 से राज्य के बालू घाटों की बंदोबस्ती और रख-रखाव का जिम्मा झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को दे दिया गया है. राज्य में बड़े बालू घाटों की संख्या 55 से अधिक है, वहीं छोटे बालू घाटों की संख्या यानी बी कैटेगरी बालू घाटों की संख्या 608 है. इन सभी बालू घाटों से बालू उत्खनन अब भी जारी है. सरकार कहती है कि पंचायत चुनाव की वजह से लागू आदर्श आचार संहिता के कारण बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं हो पा रही है. उधर नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने भी 30 सितंबर 2021 को बालू घाटों की बंदोबस्ती संबंधी निविदा प्रक्रिया पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए रोक लगा रखी है.
पाबंदियों के बाद भी अवैध बालू का उनन और ढुलाई जारी
इन तमाम पाबंदियों के बाद भी राज्य भर में अवैध बालू का उनन और ढुलाई लगातार जारी है. इतना ही नहीं बालू घाटों में मैकेनाइज्ड उपकरणों से माइनिंग हो रही है. बताया जाता है कि इनमें से 18 बालू घाटों से उठाव जारी है, जबकि अन्य बालू घाटों से अवैध कारोबार चल रहा है. बालू के लिए मार्केटिंग डेवलपमेंट ऑर्डर (एमडीओ) और ई-चालान भी संबंधित जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों की तरफ से एमडीओ को भेजा जा रहा है. बालू के अवैध उत्खनन में सिंडिकेट पूरे सिस्टम पर हावी है. नतीजतन सिंडिकेट के जरिये ही बालू का कारोबार चल रहा है और करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा है.
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