भारतीय रेलवे ने ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अनूठी पहल की है. पश्चिम मध्य रेलवे की तरफ से 20 रेलवे स्टेशनों पर ऑटोमेटिक लाइट कंट्रोल सिस्टम लगाया गया है. इसकी खासियत यह है कि जैसे ही कोई ट्रेन पैसेंजर, एक्सप्रेस अथवा मालगाड़ी रेलवे स्टेशन से गुजरती है, तो स्टेशन की सभी लाइट्स स्वत: ऑन हो जाती है. ट्रेनों के गुजरने के बाद 70 फीसदी लाइट्स स्वत: बंद हो जाती हैं. रेलवे मंत्रालय का मानना है कि इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिल रही है.
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के बीना में सोलर पावर प्लांट लगाया है. इस प्लांट में तैयार सोलर एनर्जी से अब ट्रेनें दौड़ रही हैं. इससे रेलवे को हर साल 104 करोड़ रुपये की बचत हो रही है और 2160 टन कार्बन डाइऑक्साइड कम निकल रही है. यानि पर्यावरण की रक्षा भी रेलवे कर रहा है. इंडियन रेलवे ने अपनी तरह का पहला सोलर पॉवर प्लान्ट बीना में लगाया है. यह पश्चिम मध्य रेल में 1.7 मेगावॉट क्षमता का सोलर पॉवर प्लांट है. इसमें तैयार सोलर एनर्जी से अब ट्रेनें चल रही हैं. सोलर प्लांट लगने से ऊर्जा की बचत और पर्यावरण का कम नुकसान हो रहा है. सोलर प्लांट लगने से हर साल 2160 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की कमी होगी, जो कि एक लाख पेड़ लगाने के बराबर है.
तेजी से और व्यापक स्तर पर काम चल रहा
इंडियन रेलवे में सौर ऊर्जा के लिए तेजी से और व्यापक स्तर पर काम चल रहा है. योजना ये है कि सोलर प्लांट लगाने के लिए रेलवे भूमि की खाली पड़ी जमीन का उपयोग किया जा रहा है. यह सोलर प्लांट भारतीय रेलवे का पहला प्लांट है, जिसमें तैयार सौर ऊर्जा बिजली लाइन को सीधे फीड की जा रही है. इस प्लांट में सोलर एनर्जी तैयार होने से हर साल 2160 टन कम कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में मिलेगी. ये एक लाख पेड़ लगाने के बराबर है.
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