राजस्थान में कोयले की कमी के चलते जहां बिजली उत्पादन इकाइयों में फर्क पड़ने लगा है तो वहीं छबड़ा के मोतीपुरा थर्मल पॉवर प्लांट में अब मात्र 4 दिन का कोयला ही शेष बचा है. कोयले की कमीसुपर क्रिटिकल की 660-660 मेगावाट की दो यूनिट को संचालित करने के लिए प्रतिदिन करीब 13 हजार टन कोयले की आवश्यकता होती है. दोनों यूनिट से प्रतिदिन 300 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाता है. वर्तमान में प्लांट में मात्र 30 हजार टन कोयला ही स्टॉक में है.
इससे 4 दिन ही बिजली उत्पादन किया जा सकता है. जबकि प्लांट के पास 15 दिन का कोयला स्टॉक में रहना चाहिए, लेकिन सप्लाई की कमी के चलते प्रतिदिन मिल रही कोयले की रैक से ही उत्पादन किया जा रहा है.
कितना कोयला स्टॉक में
बारां जिले के छबड़ा मोतीपूरा थर्मल पॉवर प्लांट की कुल 6 इकाइयों में से 5 इकाइयों में 1,2,3,5,6 में बिजली उत्पादन जारी है तो वहीं विगत दिनों ईएसपी हादसे के बाद से 250 मेगावाट की चौथी इकाई बन्द है. छबड़ा मोतीपुरा थर्मल पॉवर प्लांट में ईकाई 1,2,3 में 250+250+250 मेगावाट और सुपर क्रिटिकल ईकाइयों 5 और 6 में 660+660 मेगावाट बिजली का उत्पादन जारी है.
कोयले की कमी को लेकर मोतीपुरा थर्मल से मिली जानकारी के मुताबिक थर्मल प्रशासन के पास अभी 4 से साढ़े चार दिन का कोयला बताया गया है. Ctpp क्रेटिकल में 48 हजार टन तो सुपर क्रेटिकल में 41 हजार टन कोयला अभी स्टॉक मे बताया जा रहा है. वहीं थर्मल प्रशासन ने 7 रैक प्रतिदिन थर्मल में आने की बात स्वीकारी है.
कवाई थर्मल की एक यूनिट बंदवहीं दूसरी और बारां जिले के कवाई कस्बे में अडानी पॉवर प्लांट संचालित है जहां कुल दो इकाइयों में 660+660 कुल 1320 मेघा वॉट बिजली का उत्पादन होता है.
अडानी पॉवर प्लांट के गोपाल सिंह देवड़ा ने बताया कि दोनों इकाइयों में 27 अप्रैल तक लगातार फुल लोड पर बिजली का उत्पादन हो रहा था लेकिन कोयले की किल्लत के चलते ईकाई नम्बर 1 को 28 अप्रैल सुबह 2.30 बजे बन्द करना पड़ा है. ईकाई नम्बर 2 में 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. कोयले की किल्लत तो है ही लेकिन कोयला आता रहता है चलता रहता है.
इस प्लांट में सबसे महंगी बिजली
बारां जिले के अन्ता में गैस से नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन का प्लांट संचालित है जिसमें अधिकतर समय गैस की किल्लत बनी रहती है जिससे कई बार प्लांट को बन्द करना पड़ता है. प्लांट के अज्जू गर्ग ने बताया कि इसमें कुल चार इकाइयां हैं जिसमें से 1 ईकाई स्टीम से और 3 ईकाइयां गैस या नेफ्ता से संचालित की जाती हैं. इसमें कुल 419 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. इसकी बिजली बहुत महंगी होती है इसलिए इसमें डिमांड पर ही बिजली का उत्पादन किया जाता है.
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