रूस को पारंपरिक रूप से भारत का दोस्त माना जाता है लेकिन यूक्रेन संकट के कारण जैसी वैश्विक स्थिति पैदा हुई है, उसमें रूस के लिए चीन ज़्यादा अहम हो गया है. चीन और पाकिस्तान का साथ आना भारत के लिए किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं हो सकता है. दोनों देशों से भारत के सीमा विवाद हैं और दोनों से भारत के युद्ध भी हो चुके हैं.
चीन की अहमियत को भारत कम नहीं कर सकता है. ऐसे में चीन और रूस की क़रीबी बढ़ना स्वाभाविक माना जा रहा है.दोनों देशों ने घोषणा कर रखी है कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है. इस साल फ़रवरी में ही इन्होंने कहा था कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग नहीं है. इसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. हम इन दोनों से नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों में क्या उम्मीद कर सकते हैं, जबकि दोनों अपनी मंशा बता चुके हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने इसी डर से यूक्रेन संकट में ख़ुद को तटस्थ रखने की कोशिश की.
जब रूस और यूक्रेन में तनाव बढ़ रहा था तब ही आशंका जताई जा रही थी कि यह भारत के लिए मुश्किल परिस्थिति पैदा करने वाला साबित होगा.आशंका जताई जा रही थी कि यूक्रेन संकट में रूस-चीन की दोस्ती और गहराएगी, जो भारत के लिए ठीक नहीं होगी.कई विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट ने रूस को चीन के और क़रीब ला दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने इसी डर से यूक्रेन संकट में ख़ुद को तटस्थ रखने की कोशिश की.
यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में जितनी बार रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, भारत ने वोट नहीं किया. भारत ने यूक्रेन पर हमले की रूस का नाम लेकर निंदा नहीं की.भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के सामने रूस को लेकर अपनी रणनीति उस तरह से नहीं बदली. लेकिन भारत की यह रणनीति चीन और रूस को क़रीब लाने से रोकने में कामयाब नही हो सका .
रूस को अभी की वैश्विक परिस्थिति में चीन की ज़रूरत है और चीन को भी अमेरिका के ख़िलाफ़ रूस की ज़रूरत है.
भारत के लिए अभी बेहद मुश्किल स्थिति है. यूक्रेन पर रूस के हमले से लेकर अब तक देखें तो भारत के बयान और रुख़ बदले हैं. शुरू में भारत ने सभी पक्षों की सुरक्षा चिंताओं की बात की. भारत ने फिर संप्रभुता की बात की. बुचा में रूसी हमले के बाद भारत ने हिंसा की निंदा की. हालाँकि रूस का नाम नहीं लिया. भारत और रूस बहुत गहरे दोस्त हैं लेकिन रूस को अभी की वैश्विक परिस्थिति में चीन की ज़रूरत है और चीन को भी अमेरिका के ख़िलाफ़ रूस की ज़रूरत है.
यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले चीन और रूस का साझा बयान आया था. इसी बयान में कहा गया था कि रूस और चीन की दोस्ती की कोई सीमा नहीं है. इसी से स्पष्ट होता है कि रूस और चीन के बीच सहयोग किस स्तर पर है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोनों देश और क़रीब आए हैं. चीन का सहयोग रूस से और बढ़ा है. ज़ाहिर है कि यह भारत के लिए बहुच अच्छी ख़बर नहीं है. चीन से सरहद पर तनाव जारी है. भारत अब भी रूसी हथियारों पर निर्भर है. ऐसे में चीन से तनाव और बढ़ता है तो रूस और चीन का गठजोड़ भारत के हक़ में नहीं होगा.
चीन का सहयोग रूस से और बढ़ा है. ज़ाहिर है कि यह भारत के लिए बहुच अच्छी ख़बर नहीं है.
पिछले 30 सालों में चीन और रूस के संबंधों का विस्तार हुआ है. पिछले साल 28 जून को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वर्चुअल समिट हुआ था.दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भी एक दूसरे से जुड़ी हुई है. रूस में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है लेकिन उसे तकनीक की ज़रूरत है. इस मामले में चीन रूस के लिए मददगार बन रहा है. चीन ने घोषणा की है कि 2060 तक वह अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त कर लेगा.लेकिन इसके लिए उसे कोयला से प्राकृतिक गैस की ओर बढ़ना होगा. दोनों देशों के बीच व्यापार 2001 में 10.7 अरब डॉलर का था जो 2021 में बढ़कर 140 अरब डॉलर पहुँच गया. इसके अलावा दोनों देश कई परियोजनाओं पर साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच व्यापार 2001 में 10.7 अरब डॉलर का था जो 2021 में बढ़कर 140 अरब डॉलर पहुँच गया.
रूस और चीन की दोस्ती भी सीमा से परे नहीं है. दोनों देशों के हालिया संबंध ज़रूर गहरे हुए हैं लेकिन दोनों की ज़रूरतें भी टकराती हैं. भारत और रूस के संबंध में जो ऐतिहासिकता और भरोसा है, वो चीन और रूस में नहीं है. गलवान में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प हुई. इसमें चीन और भारत दोनों देशों के सैनिकों की मौत हुई लेकिन रूस ने हथियारों की आपूर्ति नहीं रोकी. रूस ने भारत को कभी छोड़ा नहीं है .
भारत की विदेश नीति अब दबाव से मुक्त है और इसका ताज़ा उदाहरण है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में दो टूक कहा कि अगर भारत में मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका के कुछ विचार हैं तो भारत भी अमेरिका में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी राय रखता है.
Read Also:
बॉलीवुड के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान का मुख्य अड्डा यूट्यूब ही क्यों है.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!