प्रोन्नति मामले में हेमंत सरकार के अंदर दो तरह के कायदे-कानून चल रहे हैं. इंजीनियरों के लिये अलग और डिप्टी कलेक्टरों के लिये अलग. प्रोन्नति नियमावली बनाने की बात कही जा रही है. इसके फेर में 12 साल में डिप्टी कलेक्टरों को एक प्रमोशन तक नहीं मिला. एक अदद प्रमोशन के लिये इन्हें हाईकोर्ट के शरण में जाना पड़ गया. वहां से इसके लिये आदेश भी जारी हुआ पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा.
वहीं, दूसरी ओर पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर मुरारी भगत को 30 मार्च को प्रमोशन दे दिया गया. ऐसे में एक ओर प्रोन्नति नियमावली बनाने के नाम पर डिप्टी कलेक्टरों को उलझा कर रख दिया गया है. पर इंजीनियरों के मामले में सरकार की उदारता कलेक्टरों के लिये नाराजगी का कारण बन रहा है.
हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को दिया था प्रोन्नति का आदेश
राज्य प्रशासनिक सेवा के 130 अधिकारी प्रोन्नति की आस में बैठे हुए हैं. इन्हें प्रमोशन देने का आदेश हाईकोर्ट ने भी दे दिया है. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने कर्मियों की प्रोन्नति पर रोक लगाने से संबंधित मुख्य सचिव के 24 दिसंबर 2021 के आदेश को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि जब विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक हो चुकी है और उसमें कर्मियों को प्रोन्नति के योग्य पाते हुए अनुशंसा की जा चुकी है, तो वैसी स्थिति में उनकी प्रोन्नति लंबे समय तक रोकना सही नहीं है.
कर्मियों को उनके अधिकार से वंचित किया जाना संविधान की भावना के भी खिलाफ है. डिप्टी कलेक्टरों को बेसिक ग्रेड से जूनियर सेलेक्शन ग्रेड में प्रोन्नति देने को लेकर हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को ही आदेश दिया था.
क्या कहते हैं झासा के अध्यक्ष
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रोन्नति मामले में झासा (झारखंड एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस एसोसिएशन) के अध्यक्ष राम कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार ने प्रोन्नति मामले में अब तक रोक नहीं हटाया है जिस वजह से प्रोन्नति नहीं मिल पा रहा है.
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