भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के लगभग सभी सदस्यों ने 6-8 अप्रैल को हुई अपनी बैठक में महंगाई (Inflation) के बढ़ते दवाब को रोकने के लिए कदम उठाने के पक्ष में दलील दी थी। महंगाई, आर्थिक ग्रोथ के लिए भी लगातार खतरा बना हुआ है। बैठक में हुई बातचीत के डिटेल शुक्रवार 22 अप्रैल को जारी किए गए, जिससे यह जानकारी मिली है।
RBI ने अपने प्रमुख नीतिगत दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनाए रखा है। हालांकि उसने बैठक के बाद एक बयान में कहा था कि वह महंगाई को रोकने के लिए आने वाले समय में अपनी बेहद-नरम रुख वाली मॉनिटरी पॉलिसी में बदलाव कर सकता है। यू्क्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भारत सहित दुनिया भर में महंगाई तेजी से बढ़ी है।
RBI ने एक हैरानी भरे कदम में अपने लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी को कोरोना-पूर्व स्तर पर बहाल कर दिया है, जो महामारी के दौरान उठाए गए इमरजेंसी उपायों से दूर जाने के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी, एक आर्थिक औजार है, जिसका इस्तेमाल RBI बैंकों को उधार देने या उनके अतिरिक्त पैसों को अपने पास रखने के लिए करती है |
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा,
“परिस्थितियां महंगाई को प्राथमिकता देती हैं, जिससे व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता की रक्षा की जा सके। साथ ही यह ग्रोथ में जारी रिकवरी के प्रति भी सचेत करती है।” RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा का मानना है कि महंगाई से जुड़ी सबसे खराब आशंकाएं अब साकार होने लगी है। उन्होंने कहा, “इस विचार को तेजी से बल मिलता जा रहा है कि महंगाई पर आने वाले समय में काबू पाना कठिन होता जाएगा और इस पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा कि मांग में तेजी सप्लाई में लंबे समय से रुकावट से आई है या नहीं।”
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से मॉनिटरी पॉलिसी के उदार रुख को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया और कहा कि यह आगे चलकर इस रुख में बदलाव पर सोचेगा।
RBI ने बढ़ाया था महंगाई का अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई के अपने अनुमान को 4.7 फीसदी से बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया है। RBI गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में CPI महंगाई के 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है, दूसरी तिमाही में इसके 5 फीसदी रहने का अनुमान है, तीसरी तिमाही में इसके 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है और चौथी तिमाही में यह 5.1 फीसदी पर रह सकता है।
क्यों बढ़ रही महंगाई
शक्तिकांत दास ने कहा कि यूक्रेन में रूस के बीच चल रही लड़ाई ने ग्लोबल रिकवरी के लिए बड़ा चैलेंज पेश किया है। रूस और यूक्रेन में लड़ाई का असर दुनियाभर में सप्लाई चेन पर पड़ा है। कमोडिटी और इनपुट की ऊंची कीमतों, क्रूड ऑयल में उछाल, बढ़ते इनफ्लेशन और चिप की कमी के चलते कुल ग्रोथ रेट में सुस्ती आई है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अमेरिकी में भी ग्रोथ घटी है। इनपुट प्राइसेज बढ़ने से खर्च में कमी आई है और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पर असर पड़ा है।
हर दो महीने में एक बार होती है MPC की बैठक
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक हर दो महीने पर होती है। एमपीसी में कुल छह सदस्य हैं। 6-8 अप्रैल को हुई बैठक इस वित्त वर्ष में एमपीसी की पहली बैठक थी। एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं।
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