रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को इंडिया अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स को संबोधित किया। रक्षा मंत्री ने कहा कुछ अमेरिकी कंपनियों ने ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारतीय उद्योग के साथ साझेदारी में अपनी स्थानीय उपस्थिति का विस्तार किया है।
उन्होंने कहा की :
सिर्फ एक शुरुआत है। रक्षा मंत्री ने कहा मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल के तहत अमेरिकी फर्मों को अवसरों का इस्तेमाल करने के लिए एक नई पिच दी।
भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक हितों में साझेदारी बढ़ रही है और अमेरिका और भारत दोनेां लचीली और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं जो सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करे।
राजनाथ सिंह ने कहा
अमेरिकी फर्मों को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अवसरों का प्रयोग करने के देश में संयुक्त अनुसंधान और विकास, प्रणालियों के सह-उत्पादन, और सैन्य हार्डवेयर के निर्माण और रखरखाव के लिए एक नई पिच दी। मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल जब रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करना सरकार की तत्काल प्राथमिकता है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने कहा अमेरिका सैन्य रक्षा कंपनियों से ‘मेक इन इंडिया’ पहल का इस्तेमाल करने को
उन्होंने कहा बढ़ते कारोबार के साथ हम भारत में अमेरिकी कंपनियों द्वारा निवेश बढ़ाने की आकांक्षा रखते हैं। औद्योगिक सुरक्षा समझौते (आईएसए) का पूर्ण उपयोग करते हुए, हमें रक्षा प्रौद्योगिकी के सहयोग और स्वदेशीकरण को सुविधाजनक बनाने और एक दूसरे की रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में अमेरिकी और भारतीय कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
दोनों देशों ने अपने रक्षा उद्योगों के बीच वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए दिसंबर 2019 में आईएसए पर हस्ताक्षर किए। आत्मनिर्भरता को भारत में बढ़ाते हुए भारत ने पिछले दो वर्षों के दौरान 310 विभिन्न हथियारों और प्रणालियों पर चरणबद्ध आयात प्रतिबंध लगाया है। इन हथियारों और प्लेटफार्मों का अगले पांच से छह वर्षों में चरणों में स्वदेशीकरण किया जाएगा।
सिंह ने पहले कहा था
आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत भी ऐसे प्रावधान हैं जो विदेशी कंपनियों को निवेश, सहयोग, संयुक्त उद्यम स्थापित करने और लाभ कमाने के अवसर प्रदान करते हैं। सिंह की यह टिप्पणी यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और अमेरिका के बीच भारत के संतुलनकारी कदम और भारत को रूसी सैन्य हार्डवेयर पर निर्भरता से दूर करने के वाशिंगटन के प्रयासों के बीच भी आई है।
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