सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी.कोर्ट की ओर से कार्रवाई पर रोक लगाने के बाद भी बुलडोज़र से तोड़-फोड़ जारी रही. इस प्रक्रिया में कुछ इमारतों को नुकसान भी पहुंचा जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने जहांगीरपुरी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए गुरुवार को मामले की सुनवाई के आदेश दिए. जमीयत और अन्य की ओर से दायर याचिका पर चीफ़ जस्टिस ने कहा, “यथास्थिति बनाए रखें. मामले को कल किसी उपयुक्त बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए.”
सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 11 बजकर 10 या 15 मिनट के आसपास स्टे देते हुए कहा कि इस मामले में यथास्थिति जारी रहेगी.
बीते शनिवार हनुमान जयंती शोभायात्रा के दौरान हिंसा के बाद सुर्खियों में आए जहांगीरपुरी में बुधवार सुबह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी.इस इलाके में शनिवार के बाद से ही भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे, लेकिन बुधवार सुबह उनकी संख्या और बढ़ गई. इसके बाद धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बुलडोज़र पहुंचना शुरू हो गए.अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू करने से पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) दीपेंद्र पाठक ने पूरे इलाके का जायज़ा लिया.सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 11 बजकर 10 या 15 मिनट के आसपास स्टे देते हुए कहा कि इस मामले में यथास्थिति जारी रहेगी. और बुलडोज़र की कार्रवाई पर स्टे दे दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश देते हुए कहा था कि वो उपयुक्त प्राधिकरणों को आदेश की सूचना दें और आदेश तुरंत लागू करना सुनिश्चित करें.
आदेश पारित होते ही पुलिस विभाग समेत तमाम अन्य महकमों के पास आदेश पहुंच गया. लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई चलती रही.इसके बाद वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक के बावजूद यह अभी तक रुकी नहीं है.इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश देते हुए कहा था कि वो उपयुक्त प्राधिकरणों को आदेश की सूचना दें और आदेश तुरंत लागू करना सुनिश्चित करें.
ये कार्रवाई तब तक चलती रही जब तक सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दोबारा कोर्ट के समक्ष इस मामले का ज़िक्र नहीं किया.दुष्यंत दवे ने कहा कि ‘सर सुप्रीम कोर्ट का स्टे जारी हो चुका है लेकिन बहुत दुख की बात है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश अब तक उन तक पहुंचा नहीं है. ये बहुत दुखद घटना है.’
आजकल ज़मानत दिए जाने के एक दो दिन के बाद भी अभियुक्तों को रिहा नहीं किया जाता है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि ‘अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को तत्काल रोका जाए और आदेश अब तक क्यों नहीं पहुंचा है?ये बात आज के ज़माने में अजीब लगती है जहां तकनीक के दम पर एक मिनट में सूचना पहुंच जाती है.सामान्य प्रक्रिया के तहत, अदालती आदेश फैक्स, फोन या अन्य संचार माध्यमों से पहुंचाए जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों में ऐसे मामले आए हैं जब अदालत की ओर से आदेश आने के बाद भी उन पर अमल में लेटलतीफ़ी देखने को मिलती है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना इस बारे में पहले भी टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने एक कॉन्फ्रेंस के दौरान ये कहा था कि आजकल ज़मानत दिए जाने के एक दो दिन के बाद भी अभियुक्तों को रिहा नहीं किया जाता है. इस कॉन्फ्रेंस में मैं स्वयं मौजूद था जब उन्होंने कहा कि आदेश आने के एक-दो घंटों में ही उस पर अमल किया जाना चाहिए.”
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