रांची के डुमरदगा स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में रखे गए बाल बंदी जिला व पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गए हैं. जेल की तरह यहां भी गुटबाजी के कारण आपसी मारपीट की घटना घट रही है. दो माह में दूसरी बार 18 अप्रैल को वर्चस्व को लेकर किशोर बंदियों का दो गुट आपस में भिड़ गया. तीन लोगों को इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराया गया है. दरअसल यहां रह रहे छोटे बंदियों के साथ बड़े बाल बंदी भी रह रहे हैं. यह खुलासा यहां बंद विधि विवादित किशोरों का मेडिकल बोर्ड के द्वारा कराए गए उम्र सत्यापन से हुआ.
दरअसल 14 फरवरी 2020 को जस्टिस डॉ. शिवानंद पाठक (चेयरपर्सन, जुवनाइल जस्टिस कमेटी, हाईकोर्ट ऑफ झारखंड) के द्वारा बैठक की गई थी. बैठक में उन्होंने सभी विधि विवादित किशोरों के उम्र का सत्यापन का निर्देश दिया था. जिसके बाद मेडिकल बोर्ड ने उम्र सत्यापन किया. जिसमें 48 किशोर 18 साल या उससे अधिक उम्र के पाए गए हैं. जाहिर है बड़े बाल बंदी की सोच शातिर क्रिमिनल्स की तरह हो गई है. मालूम हो कि 6 फरवरी को यहां दो गुटों में मारपीट की घटना घटी थी. जिसमें करीब 21 बंदियों को चोट भी आई थी.
एफआईआर दर्ज, बंदियों को किया जा सकता है शिफ्ट
दो गुटों की बीच वर्चस्व को लेकर हुई मारपीट की घटना के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है. जानकारी के अनुसार 11 बाल बंदियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है. वहीं, अब जिला प्रशासन इन बाल बंदियों को राज्य के दूसरे जिले के संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट करने की कार्रवाई कर सकता है. इसकी तैयारी चल रही है. मालूम हो कि इससे पूर्व 6 फरवरी 2022 को हुई मारपीट की घटना के बाद करीब 21 बाल बंदियों को राज्य के विभिन्न जिलों के संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट किया गया था.
टाइल्स के अंदर गड्ढा बनाकर छिपाया था मोबाइल
बाल संप्रेक्षण गृह में बंद किशोर बंदी तक शातिर क्रिमिनल्स की तरह मोबाइल व नशे के सामान पहुंचता है. समय-समय पर छापेमारी कर इसे पुलिस बरामद कर रही है. मगर यह सिलसिला बंद ही नहीं हो रहा है. इस माह छापेमारी के दौरान टाइल्स के अंदर गड्डा कर मोबाइल व नशे का सामान पकड़ा गया था l
छमता से अधिक रहते हैं बंदी
राजधानी के बाल संप्रेक्षण गृह में 120 बाल बंदियों को रखने की क्षमता है. मगर रांची के अलावा पलामू प्रमंडल के तीन जिलों किशोरों को भी यहां रखा जाता है. वर्तमान में करीब 140 किशोर बंदी यहां रखे गए हैं. जिनमें 18 साल या उससे अधिक उम्र के 48 किशोर हैं. इनमें कई गंभीर अपराधों में संलिप्त होने के कारण यहां बंद हैं l
राज्य के किसी संप्रेक्षण गृह को बनाया जाए प्लेस ऑफ सेफ्टी
रांची जिला प्रशासन की ओर से महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि 16 से 18 साल के बाल बंदियों के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्धारण करते हुए वहां स्थानांतरित करने का निर्देश देने का पूर्व में भी अनुरोध किया जा चुका है.
इधर, डीसी छवि रंजन ने 31 मार्च को भी विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि तत्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए झारखंड राज्य में संचालित किसी भी संप्रेक्षण गृह को प्लेस ऑफ सेफ्टी के रूप में निर्धारित किया जा सकता है. इस संबंध में उन्होंने विभागीय सचिव से अनुरोध करते हुए मार्गदर्शन मांगा था. मगर अभी तक कोई जवाब विभाग की ओर से नहीं मिला.
विभागीय अधिकारियों का परवाह नहीं
प्लेस ऑफ सेफ्टी के निर्माण के लिए करीब दो साल पहले ही केंद्र सरकार की ओर से अनुमति दे दी गई है. मगर समाज कल्याण विभाग के अफसरों को इसके निर्धारण को लेकर परवाह ही नहीं है. जबकि, रांची जिला प्रशासन की ओर से तत्कालीन डीसी राय महिमापत रे 11 फरवरी 2020 और 15 अक्टूबर 2020 को भी पत्र लिखकर प्लेस ऑफ सेफ्टी के निर्धारण को लेकर आग्रह किया था.
डीसी छवि रंजन भी दो बार इस संबंध में विभाग को पत्र भेज चुके हैं. मगर लगातार घट रही घटनाओं के बावजूद विभागीय अधिकारियों को इसकी परवाह ही नहीं है. शायद वे किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद ही प्लेस ऑफ सेफ्टी का निर्धारण किया जाएगा.
जमीन चिह्नित करने की हो रही कार्रवाई
संप्रेक्षण गृह में 16 से 18 साल के किशोर बंदियों को जुबनाइल जस्टिस एक्ट के तहत प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जाना था. लेकिन जेजे एक्ट के अनुसार इन बड़े बंदियों को रखने के लिए राज्य में आज तक प्लेस ऑफ सेफ्टी (सुरक्षित स्थान) का निर्धारण नहीं हुआ. इसके कारण रांची जिला प्रशासन के समक्ष गंभीर चुनौती उत्पन्न होती रहती है. इसको लेकर रांची जिला प्रशासन की ओर से उपयुक्त जमीन चिह्नित करने की कार्रवाई की जा रही है. मगर अब तक ऐसी जमीन चिह्नित नहीं हो सकी.
इसलिए जरूरी है प्लेस ऑफ सेफ्टी
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