कंपनी के असम स्थित हेडक्वार्टर पर साइबर हमला हुआ। साइबर हमलावरों ने कंपनी के सिस्टम और कंप्यूटर्स पर वायरस भेजकर कब्जा कर लिया और इसे छोड़ने के लिए 75 लाख डॉलर (करीब 57 करोड़ रुपए) की मांग की गई। साइबर अपराधियों ने यह रकम बिटक्वाइन के रूप में अदा करने की शर्त रखी। कंपनी ने बताया कि वैसे तो यह हमला 10 अप्रैल को जियोलॉजिकल और रिजरवायर डिपार्टमेंट पर किया गया लेकिन इसकी सूचना आईटी विभाग ने मंगलवार को दी।
कंपनी और सरकार के खजाने को भारी नुकसान
OIL के मैनेजर (सिक्योरिटी) सचिन कुमार ने मामले में दायर पुलिस शिकायत में कहा कि रैंसमवेयर और साइबर हमले की वजह से कंपनी और सरकार के खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है। आईटी सिस्टम पर वायरस के हमले की वजह से कारोबार को काफी नुकसान हुआ और इसे ठीक करने में भी काफी समय लग गया।
हालांकि, कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि साइबर हमले के बावजूद ड्रिलिंग और उत्पादन का काम बखूबी चल रहा है लेकिन आईटी से जुड़े काम प्रभावित हुए जिसमें लेनदेन और डाटा का संग्रह जैसा महत्वपूर्ण काम शामिल है। हमला चार दिन पहले जियोलॉजिकल और रिजरवॉयर डिपॉर्टमेंट पर किया गया था।
नेटवर्क की समस्या से जूझी कंपनी
सचिन कुमार ने बताया कि साइबर अटैक के बाद शुरुआती जांच में पाया गया कि इसकी वजह से कंपनी के नेटवर्क, सर्वर और क्लाइंट के कंप्यूटर को भी नुकसान पहुंचा है। इसे दोबारा पूरी तरह ठीक किया जा रहा है। इस मामले में असम के दुलियाजान पुलिस स्टेशन पर शिकायत की गई है और पुलिस इसकी जांच भी कर रही है।
डाटा को नुकसान नहीं
कंपनी के प्रवक्ता त्रिदिव हजारिका ने बताया कि साइबर हमले की वजह से कंपनी के डाटा संग्रह पर कोई असर नहीं पड़ा है। सावधानी बरतने के लिए हमने तत्काल अपने सभी सिस्टम को बंद कर दिया था और डाटा को सुरक्षित रखने का काम शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि 1889 में स्थापित हुई OIL देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है।
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