श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल की घोषणा कर दी है l देश के अलग-अलग हिस्सों में उग्र विरोध प्रदर्शनों के बाद श्रीलंका सरकार ने यह फैसला लिया है l श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है l आजादी के बाद पहली बार श्रीलंका अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है l
बुनियादी जरूरतें पूरी कर पाने में सरकार असफल
जनता की बुनियादी जरूरतें पूरी कर पाने में सरकार असफल हो गई है l पेट्रोल-डीजल से लेकर दूध और दूसरी खाद्य सामग्रियां इतनी महंगी हो गई हैं कि लोग खरीद नहीं पा रहे हैं l कभी पर्यटन के लिए दुनिया में मशहूर यह आइलैंड देश, आर्थिक तौर पर तबाह हो चुका है l हालात इतने बुरे हैं कि आजादी के बाद इस देश ने ऐसे हालात कभी नहीं देखे हैं l एक बार फिर श्रीलंका गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है l
किन चीजों की श्रीलंका में हुई है किल्लत?
श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल खत्म हो चुका है l देश के पास इतने पैसे नहीं बचे हैं कि बड़े स्तर पर तेल की खरीद कर सके l डीजल की किल्लत होने की वजह से सारे बड़े बिजली संयंत्र (Power Plants) बंद हो गए हैं l एक दिन में 13 घंटे लोड शेडिंग हो रही है l बिजली की स्थिति इतनी खराब है कि वहां स्ट्रीट लाइट भी बंद कर दी गई हैं l अस्पतालों में बिजली किल्लत की वजह से डॉक्टर ऑपरेशन तक नहीं कर पा रहे हैं l दवाइयों और खाने-पीने की चीजों के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी हैं l लोगों की क्रय क्षमता खत्म हो गई है l जनता दंगा करने पर उतर आई है l खाने की लिए लोग तरस रहे हैं l
श्रीलंका एक आइलैंड देश है l यहां की आबादी महज 2.25 करोड़ है l एक छोटे देश में ऐसी किल्लत हो गई है कि नागरिकों को पेट्रोल-डीजल मुहैया कराने में सरकार फेल हो रही है l भारत में 140 करोड़ की आबादी होने के बावजूद हमें पेट्रोल-डीजल के लिए कहीं भी लाइन में नहीं लगना पड़ता l दरअसल, रूस अब भारत को कम कीमतों पर कच्चा तेल बेचने पर राजी हो गया है l भारत और रूस के बीच हुई इस डील से अमेरिका जैसे देश काफी नाराज हैं l श्रीलंका इस कूटनीति पर चलने में फेल रहा है l
क्यों बदहाल हुई है श्रीलंका की अर्थव्यवस्था?
आर्थिक बदहाली की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट है l श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 फीसदी की गिरावट आई है l फिलहाल श्रीलंका के पास 2.31 अरब डॉलर बचे हैं l विदेशी मुद्रा के रूप में सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही श्रीलंका के पास हैं l श्रीलंका कच्चे तेल और अन्य चीजों के आयात पर एक साल में खर्च 91 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है l खर्च 91 हजार करोड़ रुपये का है लेकिन श्रीलंका के पास सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही हैं l
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था गिर गई है l श्रीलंका के पास अब इतनी भी रकम नहीं बची है कि वह अपनी जरूरत भर का तेल खरीद सके l अब श्रीलंका के पास न तो कच्चा तेल खरीदने के लिए पैसा बचा है और न ही वह गैस और दूसरी चीजों का आयात कर पा रहा है l इसकी वजह से श्रीलंका में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस सहित कई चीजों की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं l
चीन की नजदीकी श्रीलंका पर पड़ी भारी
श्रीलंका को चीन की नजदीकी भारी पड़ी है l चीन की रणनीति ऐसी है कि जिस-जिस देश में उसने अपने निवेश बढ़ाए हैं, वहां राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता तेजी से बढ़ी है l श्रीलंका और पाकिस्तान बड़े उदाहरण हैं l धीरे-धीरे पाकिस्तान भी उसी स्थिति की ओर आगे बढ़ रहा है, जैसी स्थिति श्रीलंका में है l
ईस्टर बम धमाका और कोविड कितने जिम्मेदार?
श्रीलंका में 21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका में जगह-जगह बम ब्लास्ट हुए थे l कोलंबो में ही 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे l अलग-अलग होटलों और शहरों में ब्लास्ट की घटनाओं में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है l श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है l विदेशी पर्यटक साल 2019 के बाद से ही श्रीलंका में जाने से कतराने लगे हैं l
विदेशी कर्ज उच्चतम स्तर पर
सकल घरेलू आय में 10 फीसदी हिस्सा पर्यटन उद्योग का रहा है l आज स्थितियां अलग हैं l श्रीलंका पर विदेशी कर्ज अपने उच्चतम स्तर पर है l कोविड की वजह से भी लोग श्रीलंका जाने से परहेज कर रहे हैं l ऐसी स्थिति में यह भी श्रीलंका की बदहाली का एक कारण है l मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से लोग श्रीलंका फिर नहीं जाएंगे l
श्रीलंका में राष्ट्रपति ने क्यों घोषित किया आपातकाल?
आर्थिक तंगी और बदहाली की वजह से श्रीलंका के आम नागरिक सड़कों पर आ गए हैं और सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं l भीषण हिंसक माहौल को देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति इमरजेंसी की घोषणा की है l राष्ट्रपति के पास हिंसा को रोकने के लिए दूसरा कोई उपाय भी नहीं है l श्रीलंका का संकट भी अभी टलता नजर नहीं आ रहा है l श्रीलंका भारत से संबंध सुधारने की कोशिशों में जुटा है तो चीन ने खराब हालात में किनारा कर लिया है l श्रीलंका में यह स्थिति कब तक बनी रहेगी इस संबंध में जानकार भी असमंजस की स्थिति में हैं l
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