जल्द ही कोल्हान एवं राज्य के अन्य जिलों में संगठन के विस्तार की योजना
झारखण्ड किसान परिषद् के तत्वावधान में दो एवं तीन अप्रैल को दो दिवसीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कोल्हान के तीनों जिलों, सरायकेला खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम एवं पूर्वी सिंहभूम के करीब डेढ़ सौ किसानों ने हिस्सा लिया। आज 3 अप्रैल को झारखंड किसान परिषद का दो दिवसीय जिला सम्मेलन समाप्त हुआ।
सम्मेलन के आरंभ में नेतृत्वकर्ता अंबिका यादव ने सहभागियों का स्वागत किया और सम्मेलन की पृष्ठभूमि रखी। सिंहभूम कॉलेज के प्राचार्य बी एन प्रसाद ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। प्रसाद सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर संवेदनशील और बुद्धिजीवी हैं। किसान आंदोलन का हवाला देते हुए उन्होंने झारखंड में किसान संगठन और किसान आंदोलन की जरूरत बताई और अपने सहयोग का वादा किया शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग देने की विशेषता जाहिर की।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी बातें रखीं
बासंती सरदार के संचालन में उद्घाटन सत्र को झारखंड के वरिष्ठ आंदोलनकारी जंगल बचाओ आंदोलन में लगे सोहन लाल कुम्हार, जसव के मंथन, जयपाल सिंह सरदार, रांची से आई आलोका कुजूर, रासुआ वेब पोर्टल की संपादक मोनिका मरांडी, बुरूडीह गम्हरिया के मुखिया साखेन हेम्ब्रम, कुचाई के मानसिंह मुंडा, पश्चिम सिंहभूम के राजेंद्र चाम्पिया, गोड्डा से आई आदिवासी नारीवादी रजनी मुर्मू आदि ने संबोधित किया।
2 अप्रैल की रात के सत्र में किसान भाइयों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं और समाधान के उपाय के बारे में बताया। 3 अप्रैल को पहले सत्र में अतिथियों ने अपनी बात रखी। सवर्धन हांसदा, आशीष कुदादा, श्यामल मार्डी, बसंती सरदार, संजीव यादव, आलोका कुजूर, कुमार चंद्र मार्डी , भारत भूषण चौधरी और मंथन ने भी अपनी बात रखी।
ज़मीन हड़प योजनाओं का खुलकर विरोध
इस सम्मेलन में खेती, जमीन, बीज, उर्वरक और कीटनाशक पर बाजार के कब्जे की कोशिशों के प्रति आक्रोश जाहिर किया गया। लैंड बैंक और अन्य ज़मीन हड़प योजनाओं का खुलकर विरोध किया गया। सिंचाई, कोल्ड स्टोरेज, पंचायत स्तर पर एमएसपी पर खुली खरीद मंडी, गांव-गांव खाद्य प्रसंस्करण उद्योग व इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने का विचार उभरा 50% से ज्यादा बैंक कर्ज छोटे किसानों के लिए आरक्षित रखने, कृषि और उद्योग उत्पाद का बराबर मुनाफे पर कीमत रखने की नीति बनाने की बात आई।
गंगाराम कालूंडिया और जयदा गोली कांड के मृतकों को शहीद का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित
चांडिल डैम का पानी लिफ्ट इरिगेशन कर पास के गांव में लेने के लिए अभियान चलाने का मन बना है। किसानों, खासकर छोटे किसानों की भूमि मालिकी हर स्थिति में कायम रखने की कानून बनाने की भी एक राय बनी। अंततः ईचा बांध रद्द करने तथा सारे निर्माणों को रोकने, चांडिल बांध का जल स्तर 180 मीटर से नीचे रखने, गंगाराम कालूंडिया और जयदा गोली कांड के मृतकों को शहीद का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित हुआ।
संगठन की जिला समिति और सलाहकार समिति बनी
अंतिम सत्र में संगठन का संविधान पारित हुआ तथा संगठन की जिला समिति और सलाहकार समिति बनी, जिसमें अध्यक्ष श्रावण माझी और उपाध्यक्ष हिमांगिनी लायक मनोनीत किए गए, जबकि इसके सदस्य अंबिका यादव, मान सिंह मुंडा, दिलीप महतो, छुट्टू मांझी, वैद्यनाथ कैवर्त, साखेन हेंब्रान, लखींदर पुरान और मंगल सिंह शामिल किए गए।
सलाहकार समिति में कुमार चंद्र मार्डी, सवर्धन हांसदा, मंथन आशीष कूदादा, भारत भूषण चौधरी, आलोका कुजूर, बसंती सरदार और साधना सिंह सरदार शामिल किए गए।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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