मार्च में जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। कोरोना महामारी (Covid-19 pandemic) के मामलों में कमी के साथ ही देश में आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं और जीएसटी कलेक्शन इस बात तस्दीक कर रहा है। मार्च में यह 1.42 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का रेकॉर्ड है। अप्रैल में इसके और ऊपर जाने की उम्मीद है। रेकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से सरकार महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को राहत देने के लिए कुछ कदम उठा सकती है।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (Russia-Ukraine) के बीच चल रही जंग के कारण कच्चे तेल (Crude) की कीमत एक वक्त 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी। लेकिन अपने यहां उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव के कारण पेट्रोल-डीजल की कीमत करीब साढ़े चार महीने स्थिर रही। इससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का भारी नुकसान हुआ। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने 22 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी शुरू कर दी। अब तक 10 किस्तों में पेट्रोल-डीजल की कीमत में 7.20 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है।
पेट्रोल-डीजल पर राहत
देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 115 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है जबकि डीजल भी 100 रुपये के करीब है। डीजल की कीमत बढ़ने से देश में महंगाई बढ़ने लगी है और आने वाले दिनों में यह चरम पर पहुंच सकती है। यही वजह है कि सरकार आम आदमी को राहत देने और महंगाई को काबू में करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज में कटौती कर सकती है। जीएसटी में रेकॉर्ड कलेक्शन के बाद सरकार के लिए ऐसा करना संभव है।
पिछले साल जब देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत रेकॉर्ड पर पहुंच गई थी तो सरकार ने लोगों को दिवाली गिफ्ट देते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में क्रमशः पांच रुपये और 10 रुपये की कटौती की थी। जानकारों का कहना है कि अगर मोदी सरकार फिर पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती करती है तो इससे आम आदमी को राहत मिलेगी और महंगाई पर भी लगाम लगेगी।
कई चीजों पर घट सकता है टैक्स
रेकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन से सरकार कुछ जरूरी चीजों पर जीएसटी में कटौती कर सकती है। आम आदमी को राहत देने के लिए कुछ जरूरी चीजों को हाई स्लैब से लो स्लैब में लाया जा सकता है या उन पर जीएसटी खत्म किया जा सकता है। इसमें कुछ एफएमसीजी उत्पाद शामिल हैं। अभी जीएसटी में चार स्लैब पांच, 12, 18 और 28 फीसदी के स्लैब हैं।
कई चीजों को 28 फीसदी से निचले स्लैब्स में लाया जा सकता है। हाल में खबर आई थी कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में पांच प्रतिशत वाले स्लैब को बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन इससे महंगाई बढ़ने की आशंका है और यही वजह है फिलहाल इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
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