बैंक मैनेजर की असहयोगात्मक रवैये के कारण अपने पिता को बचा नहीं पाया-करम चंद उरांव
बैंक में पर्याप्त पैसे खाते में रहने के बावजूद एक व्यक्ति का समय पर बेहतर ईलाज नहीं हो पाया और उसकी मृत्यु हो गई। इसको लेकर मृतक के पुत्र ने बैंक मैनेजर पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बैंक के शाखा कार्यालय के सामने धरना दिया और न्याय की गुहार लगाई है। गोविन्द उरांव एसबीआई की सिरका शाखा का एक खाता धारक थे, जिनकी जमा पूंजी शाखा में थी। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे, चलने-फिरने और हाथ से लिखने में असमर्थ थे, इसलिए उनके पुत्र करमचंद उरांव ने कई बार बैंक में जाकर शाखा प्रबंधक से अपने पिता के खाते से उनकी जमा राशि अपने खाते में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया, लेकिन शाखा प्रबंधक ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया।
आखिरकार हुआ यह कि पैसे न होने के कारण करमचंद अपने पिता का बेहतर ईलाज नहीं करा सका और 31 मार्च को रांची रिम्स में देहांत हो गया।
मैनेजर साहब मेरे बाबूजी के रूपये ट्रांसफर कर देते तो उनकी जान बच जाती-करमचंद
31 मार्च सुबह तकरीबन 11 बजे एसबीआई सिरका शाखा में ग्राम कहुवा बेड़ा निवासी करमचंद उरांव अपने मृत पिता गोबिन्द उरांव के शव लेकर पहुंचे और सिरका बैंक प्रबंधक आलोक बैसाख के असहयोगात्मक रवैये को अपने पिता गोबिन्द उरांव की मौत का कारण बताया। करमचंद ने कहा, “यदि समय पर मैनेजर साहब मेरे बाबूजी के रूपये ट्रांसफर कर देते तो उनकी जान बच जाती। मैं कई बार अपने पिता को लेकर बैंक आया। मेरे पिता ने भी बैंक मैनेज़र को अपनी अस्वस्थता जताते हुए आने में अपनी असमर्थता बताई तथा तमाम रूपये मेरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर देने का आग्रह किया, जिसपर मैनेज़र ने कोई ध्यान नहीं दिया।“
बैंक मैनेज़र ने उनकी समस्यओं का कोई समाधान नहीं किया
विदित हो कि गोबिन्द उरांव सीसीएल सिरका से दो वर्ष पूर्व सेवानिवृत हुए थे। हाथ में लगे गंभीर चोट से वो लिखने में असमर्थ थे, जिसके कारण उनका एटीएम व चेक बुक सुविधा बैंक ने पहले ही बंद कर दी थी। बीते 30 मार्च को गोविन्द उरांव की रांची रिम्स में मौत हो गई। मृतक के परिजन किसी बड़े सुविधायुक्त अस्पताल में अपने पिता का ईलाज कराना चाहते थे, जिसके लिए काफी रूपयों की आवश्यकता थी। वे बार बार बैंक के चक्कर लगाते रहे, लेकिन बैंक मैनेज़र ने उनकी समस्यओं का कोई समाधान नहीं किया और रूपये होने के बावजूद गोविन्द उरांव के परिजन ईलाज नहीं करा सके। अपनी इस बेबसी पर उनके परिजनों ने स्थानीय प्रशासन से सिरका बैंक मैनेज़र आलोक बैसाख की संवेदनहीनता और उनके असहयोगात्मक रवैये पर उच्च स्तरीय जांच और विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की है।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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