दिल्ली एनसीआर में एक फ्लैट होने का सपना संजोए पूरे देश से आने वाले नौकरी-पेशा लोगों के साथ धोखा हो रहा है। यह धोखा फ्लैट बनाने वाले सिर्फ बिल्डर नहीं कर रहे हैं बल्कि सरकारें भी इसमें बराबर की भागीदार हैं।
बिल्डरों की लगाम कसने की जिम्मेदारी तो सरकारों की है
बल्कि ये कहें कि बिल्डरों से ज्यादा सरकारें जिम्मेदार हैं तो गलत नहीं होगा, क्योंकि बिल्डरों की लगाम कसने की जिम्मेदारी तो इन सरकारों की है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, सोनीपत और झज्जर जैसे एनसीआर में आते शहरों में बिल्डरों ने अंधेरगर्दी की इंतहा कर रखी है।
घटिया सामग्री का प्रयोग कर बनाई गई हाउसिंग सोसायटियों में लाखों के फ्लैट खरीद कर भी बड़ी तादाद में लोग दुर्गति के शिकार हैं। पीड़ादायक बात यह है कि हरियाणा की मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार इस बात को मान रही है, लेकिन एक्शन के नाम पर वह इसे कानून के दायरे में नहीं मानती।
हरियाणा के एनसीआर में आते शहरों में मौजूद बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी कर किस्तों में एक अदद फ्लैट खरीदकर जिंदगी की कमाई खपा दे रहे लोगों का पैसा गर्त में जा रहा है। सरकार के पास गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर जैसे दिल्ली से सटे शहरों से बहुमंजिला इमारतों में घटिया सामग्री उपयोग की गंभीर शिकायतें हैं, लेकिन एक्शन के नाम पर सिफर है।
सरकार के ही आंकड़ों की मानें तो गुरुग्राम से 58, फरीदाबाद से 2, झज्जर से 3 और सोनीपत से 1 शिकायत उसे बहुमंजिला इमारतों में घटिया सामग्री के उपयोग की मिली है।
सरकार के चक्रव्यूह में फंसे
हालांकि, असलियत इससे कहीं गंभीर है। झज्जर से घटिया सामग्री उपयोग की मिली शिकायतों में प्रतिष्ठित बिल्डर बहादुर गढ़ के सेक्टर-15 में स्थिति ओमैक्स सिटी का नाम है।
यह सभी प्रोजेक्ट 10 से लेकर 17 एकड़ में बने हैं। जाहिर है कि इनके फ्लैटों की कीमत भारी-भरकम होगी। सबसे रोचक तथ्य है कि इन सभी प्रोजेक्टों के व्यवसाय प्रमाण पत्र जारी करने का वर्ष 2014, 2015, 2016 और 2017 है।
मतलब हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार बनने के बाद ही इन सभी के व्यवसाय प्रमाण पत्र जारी हुए हैं। झज्जर की ओमैक्स सिटी के मामले में सरकार का कहना है कि जांच के लिए एक कमेटी बना दी है।
गुरुग्राम में संरचना लेखा परीक्षा (स्ट्रक्चरल ऑडिट) के आदेश दिए गए हैं। लेकिन यह आदेश कब दिए गए हैं सरकार ने यह नहीं बताया है। सवाल है कि क्या विपक्ष के मामला उठाने के बाद खानापूर्ति के लिए तो यह आदेश नहीं दिए गए हैं।
सरकार की उपरोक्त मामलों में तथाकथित गंभीरता की धज्जियां वहां उड़ जाती है जब पता चलता है कि एनसीआर के इन शहरों में 28 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जिन पर बिल्डरों ने बिना व्यवसाय प्रमाणपत्र (ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट) जारी किए ही कब्जा कर लिया। यह सभी प्रोजेक्ट बड़े बिल्डरों के हैं।
इनमें गुरुग्राम की 17, रेवाड़ी की 2, फरीदाबाद की 7 और सोनीपत की 2 परियोजनाएं (हाउसिंग सोसायटी) शामिल हैं। इसका मतलब है कि यह सभी परियोजनाएं अनसेफ हैं और इनमें जो लोग रह रहे हैं वह अपनी जान की कीमत पर रह रहे हैं।
सरकार का कहना है कि लाइसेंस के प्रारंभिक दिनों में पंजाब अनुसूचित सड़क और नियंत्रित क्षेत्रों के तहत निर्धारित भवन उपनियम, अनियमित विकास प्रतिबंध नियम 1965 में व्यवसाय प्रमाण पत्र प्रदान करने के समय योग्य संरचना अभियंता से संरचनात्मक स्थिरता प्रमाण पत्र प्राप्त करने का प्रावधान नहीं था।
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