अनिल सिंह ने स्थानीय न्यायालय में इसके विरुद्ध कंप्लेंट केस दायर किया
थाना प्रभारी व अन्य दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई हो-झाजम.
लातेहार जिले के गारू थाने में बरवाडीह के एक आदिवासी युवक अनिल सिंह की पिटाई और गैरकानूनी तरीके से थाने में तीन दिनों तक रखने को लेकर मामला गरमा रहा है। इस सम्बन्ध में अनिल सिंह ने लातेहार के आरक्षी अधीक्षक से लिखित शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाईं है। अनिल सिंह लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत कुकू ग्राम के रहने वाले हैं। इसे संज्ञान में लेते हुए झारखंड जनाधिकार महासभा ने इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
तीन दिनों तक गैरकानूनी तरीके से थाने में रखा गया
जैसा कि अनिल सिंह ने एसपी को सौंपे शिकायत पत्र में बताया है, कि गारू थाना प्रभारी व अन्य दो पुलिसकर्मियों द्वारा पिछले 23 फ़रवरी को थाने में उनकी बेरहमी से पिटाई की गई थी और तीन दिनों तक गैरकानूनी तरीके से थाने में रखा गया। साथ ही उनके ऊपर नक्सलियों को मदद करने का आरोप लगाया गया था।
गारू पुलिस ने पार कर दी क्रूरता की हद
अनिल को 23 फ़रवारी की रात को 12 बजे गारू पुलिस ने उसके घर से उठा के थाना ले गए । थाना प्रभारी व अन्य दो पुलिस ने लाठी से बेरहमी से पिटाई की। न केवल बेरहमी से पिटाई, बल्कि पिटाई के बाद थाना प्रभारी ने अनिल के पीछे से कपड़े के ऊपर से पैखाने के रास्ते पेट्रोल डाल दिया एवं अगले दिन पुलिस ने उससे ज़बरदस्ती उसकी खून से लथपथ पैंट और अंडरवियर खोलवा के रख ली.
छिपादोहर थाने में नहीं ली गई शिकायत
थाना प्रभारी व अन्य दोषी पुलिस के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने अनिल सिंह 2 मार्च 2022 को अपने स्थानीय थाना (छिपादोहर) गए थे, लेकिन उनका आवेदन पुलिस ने नहीं लिया. फिर 4 मार्च को अनिल ने sc-st थाना में आवेदन दिया और SP से भी शिकायत की। हैरानी की बात यह है कि उक्त घटना के एक महीने बाद भी दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस क्रूर पुलिसिया कृत्य पर संज्ञान लिया था और झारखंड पुलिस को कार्रवाई का आदेश भी दिया था। फिर 25 मार्च को अनिल सिंह ने स्थानीय न्यायालय में एक कंप्लेंट केस दायर किया और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।
SC-ST अत्याचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं तहत प्राथमिकी दर्ज हो-महासभा
महासभा ने राज्य सरकार से मांग की है कि तुरंत थाना प्रभारी व अन्य दोषी पुलिसकर्मियों पर SC-ST अत्याचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं तहत प्राथमिकी दर्ज हो, उनके विरुद्ध कार्रवाई हो और अनिल सिंह को पर्याप्त मुआवज़ा मिले. साथ ही नक्सल विरोधी अभियान की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को परेशान न किया जाए. लोगों पर फ़र्ज़ी आरोपों पर मामला दर्ज करना पुर्णतः बंद हो. पाँचवी अनुसूची क्षेत्र के किसी गाँव में सर्च औपरेशन चलाने से पहले ग्राम सभा और पारम्परिक प्रधानों की अनुमति ली जाए. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के थानों, सुरक्षा बलों व स्थानीय प्रशासन के निर्णायक पदों पर प्राथमिकता स्थानीय, मुख्यतः आदिवासियों को दी जाए. स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए और संवेदनशील बनाया जाय.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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