दिल्ली सहित कई शहरों में हर साल सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है. इसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. अब सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के एक वायु गुणवत्ता विश्लेषण से ये पता चला है कि सर्दी में प्रदूषण सिर्फ मेट्रो सिटी के लिए ही नहीं, बल्कि नेशनल लेवल पर एक समस्या बनती जा रही है.
रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि 2021-22 में 15 अक्टूबर से 28 फरवरी के बीच सभी क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ा और खराब से बहुत खराब श्रेणी में रहा. पिछली सर्दी के दौरान उत्तर भारत के 60 शहरों में से गाजियाबाद सर्वाधिक प्रदूषित रहा.
आल इंडिया विंटर क्वालिटी एनालिसिस के अनुसार
गाजियाबाद में हवा में सूक्ष्म कणों पीएम2.5 की मात्रा औसतन 178 माइक्रोग्राम प्रति गहन मीटर थी. इसके बाद दिल्ली में इन कणों की मात्रा 170 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई.
दिल्ली के बाद इस लिस्ट में फरीदाबाद, मानेसर, बागपत, नोएडा, गुरुग्राम, मेरठ और हापुड़ का नंबर आता है.
हालांकि सीएसई ने पाया कि उत्तर भारतीय शहरों में पिछली सर्दियों में औसतन 11 फीसदी कम पीएम2.5 दर्ज किया गया था, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के उप-क्षेत्र में सुधार सिर्फ आठ फीसदी था. उत्तर के भीतर, दिल्ली-एनसीआर सबसे प्रदूषित उप-क्षेत्र बना हुआ है, जहां उनके सबसे खराब दिन औसत से लगभग पांच गुना अधिक हैं.
बिहार के छह शहर इस सर्दी में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं, जिसमें सीवान और मुंगेर शीर्ष पर हैं.
सीवान में मौसमी औसत 187 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था.
बिहार के 13 शहर सर्दियों में उच्चतम स्तर वाले शीर्ष 25 शहरों में शामिल हैं.
उत्तरी हरियाणा का हिसार बिहार और एनसीआर के उप-क्षेत्रों के बाहर शीर्ष 25 में एकमात्र शहर था.
पश्चिम क्षेत्र में सबसे प्रदूषित शहर गुजरात में अंकलेश्वर था. मध्य क्षेत्र में मध्य प्रदेश में सिंगरौली सबसे प्रदूषित शहर था.
दक्षिण में कर्नाटक में कलबुर्गी और तेलंगाना में हैदराबाद सबसे प्रदूषित शहर पाए गए.
पूर्वोत्तर क्षेत्र में सबसे प्रदूषित शहर असम में गुवाहाटी था, जहां सर्दियों का औसत PM2.5 81 ug/m3 था.
उत्तरी क्षेत्र में श्रीनगर को, हरियाणा में पलवल, पंजाब में बठिंडा और राजस्थान में अलवर के साथ अपेक्षाकृत कम सर्दियों के औसत वाले शहरों में सबसे स्वच्छ शहर पाया गया.
अधिकांश क्षेत्रों में पीएम 2.5 का समग्र क्षेत्रीय औसत पिछली सर्दियों की तुलना में कम था, लेकिन कई क्षेत्रों में धुंध के एपिसोड में गंभीर वृद्धि दर्ज की गई.
प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम करने की जरूरत
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि यह विश्लेषण सीएसई की अर्बन डेटा एनालेटिक्स लैब के 2021-22 विंटर एयर क्वालिटी ट्रैकर इनिशिएटिव के लिए किया गया है. प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल काम करने की जरूरत है. इसके लिए प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों – वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र और अपशिष्ट प्रबंधन – में त्वरित सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है.
यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आनलाइन पोर्टल सेंट्रल कंट्रोल रूम फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दानेदार रीयल टाइम डेटा पर आधारित है. 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 161 शहरों में फैले कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानिटरिंग सिस्टम के तहत 326 आधिकारिक स्टेशनों से आंकड़े लिए गए हैं.
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