पंजाब में सरकार बदली. न कांग्रेस और न ही भाजपा की मुरादें पूरी हुईं. आम आदमी पार्टी को मिली कामयाबी. शहीद-ए-आजम भगत सिंह के गांव में आयोजित एक समारोह में भगवंत मान ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली. आम आदमी पार्टी ने पहली बार पंजाब में सत्ता हासिल की है. अब भगवंत सरकार को कई चुनौतियों के साथ आगे बढ़ना होगा.
लगभग 2,800 अरब रुपये का क़र्ज़
विदित हो कि पंजाब सरकार लंबे समय से कई वित्तीय संकटों से गुजर रही है. सबसे बड़ी समस्या राज्य सरकार पर बढ़ता कर्ज का बोझ है. राज्य सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018-19 में उस पर 2,000 अरब रुपयों से भी ज्यादा कर्ज बकाया था. कई जानकारों की मानें तो इस समय यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 2,800 अरब रुपये हो गया है. यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के 50 प्रतिशत से भी अधिक है. इस लिहाज से भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजाब का स्थान चौथा है.
राज्य के लाखों बेरोजगार युवा सरकारी नौकरियों की राह देखते रहते हैं
माना जाता है कि हर साल राज्य सरकार की आधी कमाई इस कर्ज का ब्याज चुकाने पर ही खर्च हो जाती है. यही कारण है कि राज्य सरकार अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश नहीं कर पाती. एनएसओ के अनुसार साल 2019-20 में पंजाब में बेरोजगारी दर 7.4 प्रतिशत थी, जबकि उस वक़्त राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 4.8 थी. राज्य के लाखों बेरोजगार युवा सरकारी नौकरियों की राह देखते रहते हैं और कई सालों तक उनके लिए परीक्षाएं देते रहते हैं.
पलायन को रोकना भी ‘आप‘ के लिए एक बड़ी चुनौती
राज्य में नई सरकारी नौकरियां लाना ‘आप’ सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी. इसके अलावा निजी क्षेत्र में नौकरियां बनें इसके लिए ऐसी औद्योगिक नीति लानी होगी, जिससे निजी कंपनियां राज्य में अपना व्यापार स्थापित करें. नौकरियां न होने की वजह से दशकों से लोगों का पलायन आज भी जारी है. इस पलायन को रोकना भी ‘आप’ के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी. ड्रग्स से मुकाबला कृषि ही मूल रूप से पंजाब की अर्थव्यवस्था का आधार है, लेकिन वह भी किस तरह के संकट से गुजर रहा है, यह किसान आंदोलन ने दिखा दिया था.
कीटनाशकों के बेजा इस्तेमाल से कैंसर की समस्या
पंजाब आज भी गेहूं और चावल के सबसे बड़े उत्पादकों में से है लेकिन किसानों की आमदनी कई सालों से बढ़ी नहीं है. वहीं खेती की लागत जरूर बढ़ गई और कुल मिला कर खेती घाटे का सौदा बन गई है. किसान एमएसपी प्रणाली पर बुरी तरह से निर्भर हैं और अगर एमएसपी हटा दी गई तो उनकी दशा और भी ख़राब हो जाएगी. अनुपातहीन मात्रा में चावल उगाने की वजह से भूजल का स्तर भी लगातार नीचे जा रहा है.कीटनाशकों के बेजा इस्तेमाल से कई इलाकों में कैंसर की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है.
ड्रग्स की आपूर्ति पर रोक लगाना एक बड़ी चुनौती
ड्रग्स पंजाब की पुरानी समस्या है. कई सरकारें बदलीं लेकिन समस्या वैसी की वैसी रह गई. गांव के गांव और शहरी मोहल्ले ऐसे परिवारों से भरे हुए हैं जिनमें एक नहीं बल्कि कई लोगों की या तो नशे की वजह से जान चली गई या उन्हें कभी न छूटने वाली लत लग गई. ड्रग्स की आपूर्ति रोकना, मरीजों को नशामुक्त करवाना, उन्हें और उनके परिवारों को आर्थिक संकट से निकालना नई सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां रहेगी.
जो लोग पंजाब में काम करते हैं, पंजाब भी उनका उतना ही है जितना हमारा है-सीएम चन्नी
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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