2017 के मुकाबले बीजेपी की इस बार चुनावी रणनीति बिलकुल अलग थी. अपनी सरकार के दौरान बीजेपी ने एक-दो ऐसे काम किए थे जिसे पार्टी जनता तक ले जाने में सफल रही. असल में कांग्रेस के 15 सालों के शासन में मणिपुर में जो बंद और रास्तो रोको होते थे बीजेपी ने उस समस्या को एक तरह से ख़त्म कर दिया. इसके अलावा पहाड़ी और घाटी के बीच जो टकराव था उसे भी काफी हद तक सुलझाया गया. सबसे बड़ी बात कि चुनावी कैम्पैन के दौरान बीजेपी यहां के लोगों को अपने काम के बारे में समझाने में सफल रही.
बीजेपी राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया है.
बीजेपी ने इस बार के चुनाव में 32 सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस को महज पांच सीटों पर ही जीत हासिल हुई है. इस लिहाज से जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्य में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 6 सीटें जीती है.मणिपुर में सत्तारूढ़ बीजेपी राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर कांग्रेस के बाद ऐसा करने वाली दूसरी पार्टी बन गई है.
मणिपुर में अगर बीजेपी की एंट्री और पार्टी की शुरुआती राजनीति पर गौर करें तो 2012 के चुनाव में भगवा पार्टी का एक भी विधायक नहीं था लेकिन 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों के मुकाबले महज 21 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने प्रदेश में गठबंधन के सहारे सरकार बना ली और पाँच साल शासन करने के बाद अब पूर्ण बहुमत के साथ वापसी की है.
वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 7 सीटों पर जीत हासिल की है और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को पाँच सीटें मिली है. तीन सीटें निर्दलीय को और दो सीटों पर कुकी पीपल्स अलाइअन्स की जीत हुई है.
बीजेपी ने पहाड़ी और घाटी इन दोनों क्षेत्रों में अपने 2017 के प्रदर्शन के मुक़ाबले काफी सुधार किया है.
मणिपुर मुख्य रूप से ग़ैर-आदिवासी घाटियों (इंफाल और जिरीबाम) और विभिन्न जनजातियों द्वारा बसी हुई पहाड़ियों के बीच मनोवैज्ञानिक रूप से विभाजित है. यहां हमेशा पहाड़ी और घाटी के लोगों के बीच कई सारे मुद्दों को लेकर टकराव रहा है लेकिन बीजेपी शासन में आने के बाद से पहाड़ी-घाटी की खाई को पाटने के प्रयास किए गए.यही कारण है कि बीजेपी ने इन दोनों क्षेत्रों में अपने 2017 के प्रदर्शन के मुक़ाबले काफी सुधार किया है.
कांग्रेस के अपने 28 विधायकों में से आधे चुनाव से पहले बीजेपी की तरफ आ गए जिसके फ़लस्वरूप भगवा पार्टी को बहुमत का आंकड़ा पार करने में मदद मिली.आमतौर पर उत्तर-पूर्वी ये छोटे राज्य उस व्यवस्था के साथ जाते हैं जो केंद्र में शासन करती है.
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