अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की विरासत , जो एक सदी से भी पहले बेहतर और समान वेतन और मतदान के अधिकार की मांग को लेकर महिला श्रमिकों की हड़ताल से उत्पन्न हुई थी, उस विरासत को आगे ले जाने के क्रम में मौजूदा लैंगिक असमानता और उत्पीड़न के पीछे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए “कामकाजी महिलाओं की समन्वय समिति” और “जनवादी महिला समिति” द्वारा संयुक्त रूप से अखिल भारतीय स्तर पर इस वर्ष का महिला दिवस को, “कामकाजी महिलाओं के लिए के लिये कार्रवाई दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है ।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की पूर्वी सिंहभूम जिला कमेटी की ओर से श्रीमती उषा सिंह ने बताया है कि आज जब हमारी देश आजादी के 75 साल मना रहा है, आम तौर पर महिलाएं और विशेष रूप से कामकाजी महिलाएं विनाशकारी जीवन स्थितियों में जी रही हैं । महामारी के दौरान महिलाओं का रोजगार की स्थिति में पुरुषों की तुलना में उच्च दर में गिरावट आई है । जेंडर इंडेक्स की वैश्विक रैंक में भारत की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है । जहां एक ओर महामारी के दौरान देश की लगभग आधी आबादी गरीब हो गई है, वहीं बेतहाशा मूल्य वृद्धि के कारण अधिकांश लोगों को भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित कर दिया ।
केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी में भारी कटौती की है
इससे महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । इस संकट के बावजूद, हाल के बजट में केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी में भारी कटौती की है । वहीं दूसरी ओर महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने और वैवाहिक बलात्कार आदि को अपराध से मुक्त करने के लिए आपराधिक कानूनों में बदलाव के प्रयासों से महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । भारी मात्रा में छंटनी, वेतन कटौती आदि के कारण कामकाजी महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय में भारी कमी आई है । सामाजिक क्षेत्र के खर्च में भारी कटौती के कारण दशकों के दौरान हासिल किए गए मानव विकास में मामूली सुधार भी खो रहा है ।
कामकाजी महिलाओं की कोल्हान समन्वय समिति सीटू की संयोजिका श्रीमती आई पुष्प लता ने बताया जबकि एक ओर कोविड काल के दौरान भारी मात्रा में छंटनी, वेतन कटौती आदि के कारण कामकाजी महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय में भारी कमी आई है , वही सरकार द्वारा पारित श्रम संहिता न केवल आठ घंटे के काम, न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा, ट्रेड यूनियनों की स्वतंत्रता और सामूहिक सौदेबाजी के बुनियादी अधिकारों को छीन रही है, बल्कि महिला श्रमिकों से संबंधित सभी सुरक्षात्मक कानूनों को भी छीन रही है ।
इसी पृष्ठभूमि में आज उपायुक्त के माध्यम से माननीय प्रधान मंत्री जी को संबोधित करते हुए दोनों संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें कामकाजी महिलाओं की मुद्दों से संबंधित मांगों के प्रति आवश्यक तात्कालिकता से दूर करने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने के लिए अपील की गई। आज के कार्यक्रम में पुष्पलता, मोनी कुमारी, दीपा सिंह, तापोशी भट्टाचार्य, निशा मंडल, गुरप्रीत, स्वाति वर्मा, जया मजूमदार उषा सिंह, मिठू भट्टाचार्य आदि ने शिरकत की.
पूर्वी सिंहभूम: चाकुलिया में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर तीन महिला बीएलओ सम्मानित
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