कोरोना काल में हुई बेरोजगार, JSLPS की ‘जोहार परियोजना’ ने दिखाई स्वावलंबन की राह
महामारी या कोई आपदा आती है तो गरीब या दैनिक वेतन भोगी वर्ग ही सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। हालांकि विपरित परिस्थितियों में भी जो हार नहीं मानते, उनके लिए आपदा भी अवसर बन जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी है धालभूमगढ़ प्रखंड के रावतारा गांव की निवासी रूपाली मांडी की। दृढ इच्छाशक्ति तथा JSLPS द्वारा संचालित जोहार परियोजना से मिले सहयोग से रूपाली तथा इनके पति को दैनिक वेतनभोगी मजदूर से आज प्रगतिशील कृषक की पहचान मिली है।
सवा एकड़ ज़मीन पर बहुफसलीय खेती ने संवारी किस्मत
कोरोना काल ने ईंट भट्ठे में कार्य करने वाली रूपाली मांडी का रोजगार छीना, वहीं इनके पति सूर्या मांड जो बेंगलुरू में दैनिक मजदूर के रूप में काम करते थे, उन्हें भी वापस अपने घर लौटना पड़ा। हालांकि महामारी के दौरान गांव में उनके लिए एकमात्र सकारात्मक बात यह थी कि वह अपने गांव में जोहार परियोजना के निर्माता समूह का हिस्सा थीं। बेरोजगारी और आर्थिक समस्याओं के बीच रूपाली ने पति के साथ एक संक्षिप्त चर्चा के बाद अपनी 40 डिस्मिल भूमि में विभिन्न फसलों की खेती करने का फैसला किया तथा उच्च मूल्य की फसलों की खेती के लिए पट्टे पर 110 डिस्मिल खाली जमीन लेकर बहुफसलीय खेती करनी शुरू की, जो आर्थिक दृष्टि से काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है।
मजदूर से बनीं मालिक बनने तक का सफ़र
रूपाली मंडी अपने समर्पण, कड़ी मेहनत और तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ जोहार परियोजना से मिली वित्तीय सहायता के दम पर शूरू में 62,000 रुपये के लागत से खेती की जिससे 13,000 रुपये का लाभ हुआ और यह सिर्फ शुरुआत थी। रूपाली के साथ कापरा हेम्ब्रम, शर्मिला हेम्ब्रम और डांगी टुडू एक टीम के रूप में काम कर रही हैं। आज इन्होंने लगभग 30 डिसमिल में मटर, 30 डिसमिल में मिर्च/ शिमला मिर्च, 10 डिसमिल में गाजर मिलाकर कुल 70 डिसमिल में खेती की है।
बाकी 80 डिस्मिल जमीन में मटर, फूल गोभी, पत्ता गोभी, करेला और ब्रोकली की अंतर-फसलीय खेती कर रही हैं। रूपाली मंडी ने बताया कि इन फसलों को बाजार में बेचे जाने पर लगभग 3 लाख 50 हजार रुपये का अपेक्षित लाभ होगा। रूपाली गर्व से बताती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि लोग उनकी मेहनत को देखने आएंगे और उससे सीखने की कोशिश करेंगे।
क्या है जोहार परियोजना ?
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को वैज्ञानिक खेती से जोड़कर अत्याधुनिक प्रशिक्षण के जरिए आमदनी में बढ़ोतरी के प्रयास किए जा रहे हैं। जेएसएलपीएस के तहत जोहर परियोजना को इसी उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को वनोपज आधारित आजीविका से जोड़कर आमदनी बढ़ोतरी का कार्य हो सके। कृषि उत्पादकता में सुधार के कारकों में से एक इन ग्रामीण परिवारों और उत्पादक समूहों को उच्च मूल्य वर्धित फसलों (जैसे फल, सब्जियां, मसाले आदि) की खेती के लिए समर्थन और मार्गदर्शन करना है। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की जोहार परियोजना उच्च मूल्य वर्धित कृषि (HVA), सिंचाई योजनाओं की स्थापना, गैर-काष्ठ वन उपज (NTFP- प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले ऐसे उत्पाद जो एक विशेष मौसम पर निर्भर होते हैं), पशुधन और मत्स्य विकास जैसे कई डोमेन में सहायता प्रदान कर किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से काम कर रही है।
दामोदर और स्वर्णरेखा नदी गंगा से जुड़ने पर झारखंड जिले में होगा फायदा – जानिए
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!