JSLPS ने दिखाई नई राह, अब राशन दुकान/पलाश मार्ट के ज़रिए पाया रोज़गार
गुड़ाबांदा प्रखंड के बालीजुड़ी पंचायत अंतर्गत नायकनशोल गांव की रहने वाली मालती टुडू ‘बीर बाहा महिला स्वयं सहायता समूह’ की सक्रिय सदस्य हैं। मालती बताती हैं कि खेती-बाड़ी के अलावा उनके परिवार में आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था, जिससे आए दिन उनके परिवारवालों को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए ही उन्होंने घर में महुआ शराब तथा हड़िया बनाकर बेचना शुरू किया, लेकिन इससे समाज पर पड़ने वाला बुरा असर तथा चोरी-छुपे करने वाले इस कारोबार ने उन्हें नई राह चुनने को मजबूर कर दिया।
जेएसएलपीएस से कैसे जुड़ीं मालती टुडू ?
मई 2018 में उनके गांव नायकनशोल में ICRP की टीम ने विजिट किया। शुरूआत में 10 महिलाओं की टीम बनाकर ‘बीर बाहा स्वंय सहायता समूह’ का गठन किया गया, जिससे मालती भी जुड़ गई। उन्होंने शुरूआत में समूह से लोन लेकर पति को आर्थिक रूप से सहयोग करती रहीं, लेकिन उनके जीवन में इससे कोई नई राह नहीं मिल पा रही थी। मालती बताती हैं कि आखिरकार कर्ज लेकर कितना दिन अपने परिवार का भरण-पोषण करती । वे बताती हैं कि जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद अलग-अलग आजीविका के साधनों के बारे में जानकारी मिलने लगी जिससे उन्होने भी रोजगार के अवसर तलाशने शुरू किए।
महिला समूह से लोन लेकर खोली राशन दुकान, फूलो झानो आशीर्वाद योजना से भी मिला ब्याज रहित लोन
मालती टुडू बताती हैं कि आजीविका के नए साधन को लेकर उन्होने अपने पति से विचार-विमर्श कर राशन दुकान खोलने की योजना बनाई लेकिन दुकान खोलने के लिए आवश्यक पूंजी नही थी । बैंक से व्यक्तिगत ऋण लेने के बारे में भी सोचा परंतु बैंक का ब्याज काफी ज्यादा था । अंत में जेएसएलपीएस की सहायता से फुलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत मिली सहायता राशि तथा महिला समूह से ऋण लेकर उन्होने दुकान खोलने का अपना सपना पूरा किया । शुरूआती दौर में उन्हें प्रतिमाह 2-3 हजार रूपए की आमदनी होने लगी जिससे दैनिक जीवन की आर्थिक कठिनाइयां दूर हुई।
रोजगार को दिया विस्तार, आमदनी में हुई बढ़ात्तरी
मालती के मुताबिक एक बार जब जीवन पटरी पर आ गई तो उन्होने अपने राशन दुकान को विस्तार देने की योजना बनाई। आज वो अपने उसी दुकान में पलाश मार्ट का संचालन कर रही हैं जिसमें स्थानीय महिलाओं द्वारा निर्मित खाद्य, हस्तशिल्प सामग्री की बिक्री की जाती है। साथ ही आधार कार्ड के माध्यम से नगद निकासी एवं जमा करने का कार्य(डिजी पे सखी) भी कर रही हैं। इसके अलावा उन्होने कपड़ा बेचने का भी कारोबार करना शुरू किया जिससे आय के कई स्रोत हो जाने से उनकी आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ हुई है ।
अब मुझे पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता-मालती
मालती टुडू कहती हैं, ‘आज मैं जेएलएलपीएस की सहायता से ही खुद को इतना सफल बना पाई हूं एवं एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रही हूं। अब मुझे पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। अपनी दुकान एवं पलाश मार्ट को और विकसित करना है । साथ ही हमारे गांव एवं पंचायत की सभी महिलाओं को आजीविका से जुड़ने के लिए प्रेरित करूंगी।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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