आईपीसीसी की हर रिपोर्ट हमें आगाह कर रही है कि…
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की अध्यक्ष और पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने कहा, “आईपीसीसी की हर रिपोर्ट हमें आगाह कर रही है कि हमारे पास समय नहीं है। पिछली रिपोर्ट्स में हमें पता था कि यह होने वाला है। लेकिन आज यह निश्चित हो गया है, कि अगर हमने जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपायों पर काम नहीं किया तो यह होना निश्चित है। क्योंकि कार्बन उत्सर्जन में कमी के बिना हम बढ़ते तापमान और उमस को कम नहीं कर सकते। आईपीसीसी रिपोर्ट बता रही है कि जलवायु परिवर्तन का हमारे मानसून पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
जलवायु परिवर्तन से अंसतुलित हो रहा है मानसून
कृषि प्रधान देश में मानसून का बहुत महत्व है। पिछले वर्ष में देश में कई राज्यों में सघन वर्षा हुई है। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि आने वाले समय में भी भारी वर्षा, बाढ़, सूखा, पानी की किल्लत जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होंगी। वहीं अगले दशकों में तापमान बढऩे से वाष्पीकरण दर बढ़ेगी, जमीन में नमी खत्म होगी। सिंचाई और पीने के पानी की किल्लत बढ़ेगी।
राजस्थान में पानी की कमी
गर्मी के कारण राजस्थान के लोग पानी की कमी से लंबे वक्त से जूझ रहे हैं। वैश्विक प्रदूषण में भारत केवल 4.4 फीसद का योगदान करता है। फिर भी वातावरण में गैसों का प्रभाव भी बढ़ रहा है। फॉसिल फ्यूल, पॉवर प्लांट्स, वाहन, उद्योग-धंधे, कचरा प्रबंधन, कमर्शियल संस्थान, कृषि व घरों में ईंधन के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन हो रहा है।
देश में नदियां सूख रहीं
वनीकरण पर रणनीति बनानी होगी। पेड़ लगाना, काटना और नए पेड़ लगाने पर भी काम करना होगा। पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने होंगे। जैसे अगर हम बांस की खेती चुनते हैं तो पर्यावरण को कोई हानि नहीं है और बांस आय का भी स्त्रोत है। नारायण ने कहा कि देश में नदियां सूख रहीं हैं उनकी जो हालत है उसे सुधारने की जरूरत है।
विश्व स्तर जलवायु परिवर्तन पर काम करने की जरूरत
इसलिए विश्व को इस जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक साथ काम करने की जरूरत है। आईपीसीसी ने भारत में एक स्थान छोडक़र दूसरे स्थानों की ओर जा रहे विस्थापितों के आंकड़े भी जारी किए हैं। यह राजनीतिक रूप से बहुत ही गंभीर विषय है। अगर सरकार इस पर जल्द को निर्णय नहीं लेगी तो जनमानस अधिक असुरक्षित जलवायु की ओर बढ़ेंगे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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