दो विश्व युद्ध झेलने के बाद, 21वीं सदी में एक देश दूसरे स्वतंत्र देश पर हमला कर देता है और दुनिया के दूसरे देश इसे रोक पाने में नाकाम कैसे रह जाते हैं.लेकिन आज कई अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार इस बात से आगाह कर रहे हैं कि यूक्रेन-रूस का मामला बढ़ा तो तीसरे विश्व युद्ध की तरफ़ ना बढ़ जाए. इस वजह से संयुक्त राष्ट्र, नेटो और यूरोपीय संघ तीनों पर सवाल उठ रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद अपने बयान में रूस से अपील किया और कहा की मानवता के नाम पर अपने सैनिकों को रूस तुरंत वापस बुला ले. साथ ही ऐसा कुछ शुरू ना करें जो इस सदी की शुरुआत से अब तक का सबसे ख़तरनाक युद्ध साबित हो.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य में दो सदस्य अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर लें तो प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं रह जाता.
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक और बैठक प्रस्तावित है जिसमें यूक्रेन पर हमले को लेकर एक प्रस्ताव पारित होने की संभावना है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस एक स्थाई सदस्य है और चीन भी इस मामले पर उसका साथ दे सकता है.ऐसे में पाँच स्थायी सदस्य में दो सदस्य अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर लें तो प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं रह जाता.
संयुक्त राष्ट्र में शांति और सुरक्षा के मुद्दे तभी तक सुलझाए जा सकते हैं जब बात दो कमज़ोर देशों की हो. अगर पाँच स्थाई सदस्य में से एक भी सदस्य पर शांति और सुरक्षा भंग करने का आरोप हो तो इस संस्था के कोई मायने नहीं रह जाते. ये इराक युद्ध के समय भी देखा गया था. इराक युद्ध के दौरान अमेरिका की कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र ने ‘अवैध’ करार दिया था और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन बताया था लेकिन उसका कोई असर नही हुआ .
शुरुआत में नेटो के अमेरिका और कनाडा समेत 12 सदस्य देश थे . अभी नेटो के कुल 30 देश सदस्य हैं, जिसमें यूक्रेन शामिल नहीं है.
यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ही शांति बनाए रखने के लिए एक दूसरी संस्था भी बनी थी, जिसे नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो कहते हैं. इसका गठन दूसरे विश्व युद्ध के चार साल बाद 1949 में हुआ था. उस समय दुनिया में दो महाशक्तियाँ हुआ करती थीं – अमेरिका और सोवियत संघ. सदस्य देशों की सोवियत यूनियन से सुरक्षा के मक़सद से ही इसका गठन हुआ था. शुरुआत में नेटो के अमेरिका और कनाडा समेत 12 सदस्य देश थे . अभी नेटो के कुल 30 देश सदस्य हैं, जिसमें यूक्रेन शामिल नहीं है.
यूक्रेन पर रूस के ताज़ा हमले की एक वजह नेटो का यही विस्तार है.दरअसल नेटो के सैनिक तभी इस तरह के युद्ध में जाते हैं जब जंग में उसके सदस्य देश शामिल हों. ये भी सच है कि नेटो ने यूक्रेन की सैन्य शक्ति बढ़ाने की दिशा में काफ़ी मदद की है.जानकार ये भी कह रहे हैं कि अगर नेटो ने रूस और यूक्रेन की जंग में यूक्रेन का साथ दिया, तो मामला ज़्यादा बिगड़ सकता है. हालात तीसरे विश्व युद्ध जैसे पहुँच सकते हैं. नेटो सदस्य देशों की एक बैठक भी आज प्रस्तावित है. नेटो ने अपने पूर्वी छोर पर 100 लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर रखा है.
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की यूरोप के दूसरे देशों से लगातार मदद की गुहार लगाते नज़र आ रहे हैं.उनकी गुहार का कुछ असर भी हुआ.यूरोपीय देशों की तरफ़ से रूस पर ‘कुछ प्रतिबंध’ लगाए गए और कुछ देशों ने रूस के हमले की ‘कड़ी निंदा’ की.
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