हेमंत सरकार ने हाल में ही नई शराब नीति को लागू करने का फैसला किया है l जिसके बाद राज्य के शराब कारोबारी और बार एवं रेस्त्रां संचालक काफी परेशान हैं l इस नीति के विरोध में झारखंड बार एवं रेस्त्रां एसोसिएशन की ओर से रांची के प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजित की l जिसमे संघ के अध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि राज्य सरकार को केवल राजस्व पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि इससे लोगों को मिल रहे रोजगार पर भी ध्यान देने की जरूरत है. अगर एक बार रेस्त्रां खुलता है तो सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है l
ई उत्पाद नीति लागू करने वाली
बार एवं रेस्टोरेंट एसोसिशयन ने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष (2022-23) काफी दुःख देने वाला है l राज्य सरकार ई उत्पाद नीति लागू करने वाली है,जिसमे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने झारखंड सरकार को उत्पाद राजस्व संवर्द्धन को लेकर कई उपाय बताए हैं l ऐसे में अगर राज्य सरकार इस मॉडल को स्वीकार कर शराब नीति को लागू कर देती है, तो 80% से ज्यादा बार बंद होने के कगार पर आ जाएंगे l
लाइसेंस शुल्क में हो सकती वृद्धि
इस रिपोर्ट में जनसंख्या के आधार पर बार अनुज्ञप्ति शुल्क (वार्षिक लाइसेंस शुल्क) लगाने की सिफारिश की गई है l ऐसे में अगर अगर किसी शहर की जनसंख्या एक लाख है तो उसकी अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और होगी l इसके अलावा अगर किसी जिले की जनसंख्या 3 लाख से ज्यादा है तो वहां के बार अनुज्ञप्ति शुल्क कुछ और होगा l वहीं, तीन लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहर में लाइसेंस शुल्क को तीन गुना बढ़ाकर 24 लाख प्रति वर्ष करने की सिफारिश की गई है l मॉल में स्थित बार के लिए शुल्क 31 लाख होगा l
इसको लेकर झारखंड बार एवम रेस्त्रां संघ के प्रवक्ता अनित सिंह ने कहा है कि 9 लाख से 24 या 31 लाख लाइसेंस शुल्क करने की तैयारी करने का फैसला गलत है l सरकार को व्यापार को बढ़ाने के लिए मदद करनी चाहिये, लेकिन वो इसे बंद करने पर लगे हुए हैं l
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