उत्तर प्रदेश में तीन चरणों के चुनाव हो चुके हैं और 23 फरवरी को चौथे चरण के लिए मतदान होंगे l इस चरण में राजधानी लखनऊ के अलावा रायबरेली जिले की भी छह सीटें शामिल हैं जिसे कांग्रेस पार्टी का गढ़ कहा जाता है और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं l
रायबरेली जिले की छह विधानसभा सीटों में से दो सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दो उम्मीदवार जीते थे लेकिन अब ये दोनों विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और दोनों ही अब बीजेपी से उम्मीदवार हैं l 2017 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन था जबकि इस बार इन सभी सीटों पर बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के भी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं l
तीन दशक बाद पहला मौका
करीब तीन दशक बाद यह पहला मौका है जबकि कांग्रेस पार्टी यूपी की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और किसी भी पार्टी से उसने गठबंधन नहीं किया है l पिछले दो दिन से पार्टी महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने कई जिलों की सभी सीटों पर सभाएं कीं और पार्टी उम्मीदवारों को जिताने की अपील की l लेकिन सवाल है कि क्या इतना मजबूत गढ़ पार्टी बचा पाएगी, जिसे 2017 की लहर में भी दो सीटों के साथ बचाने में कामयाब रही थी l
बाकी यूपी से बेहतर हालत
रायबरेली के स्थानीय पत्रकार माधव सिंह कहते हैं,”सोनिया गांधी का चुनाव क्षेत्र होने के कारण यहां कांग्रेस की हालत वैसी नहीं है जैसी कि पूरे यूपी में l चूंकि पिछली बार भी दो विधायक जीते थे इसलिए पार्टी का संगठन और जनाधार कम से कम इस जिले में अभी भी बना हुआ है l हरचंदपुर, सरैनी और बछरावां सुरक्षित सीट पर पार्टी त्रिकोणीय मुकाबले में है जबकि रायबरेली सदर सीट पर वह सीधी लड़ाई में है l
रायबरेली जिले की छह सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने उस वक्त भी अपना दबदबा बनाए रखा था जब 1977 में जनता पार्टी की और 1991 में राम मंदिर आंदोलन की लहर थी l 1991 में रायबरेली की छह सीटों में से पांच पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी जबकि पूरे प्रदेश में उसके महज 46 विधायक जीते थे l
महिला केंद्रित घोषणाओं का लाभ
कांग्रेस पार्टी जमीन पर बहुत मजबूत भले ही न दिख रही हो लेकिन चुनाव में कांग्रेस पार्टी के महिला केंद्रित घोषणा पत्र और चालीस फीसद महिलाओं को टिकट देने की चर्चा जरूर हो रही है l पार्टी ने विधानसभा चुनाव में महिलाओं को न सिर्फ चालीस फीसद टिकट देने की घोषणा की थी बल्कि घोषित टिकटों में इस अनुपात का पालन भी किया है l साथ ही महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र भी पेश किया है जिसमें सरकार बनने पर कई तरह के वायदे किए गए हैं l
कांग्रेस के ‘शक्ति विधान’ में 6 प्रमुख बिंदु
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने ‘शक्ति विधान’ नाम से इस महिला घोषणा पत्र में जिन 6 प्रमुख बिन्दुओं यानी स्वाभिमान, स्वावलंबन, शिक्षा, सम्मान, सुरक्षा और सेहत को शामिल किया है उससे ऐसा लगता है कि राज्य में लगभग जनाधार खो चुकी इस पार्टी का मकसद वर्तमान चुनाव जीतना नहीं बल्कि आगे के चुनाव के लिए जमीन तैयार करना है l साल 2017 के चुनाव में पार्टी को महज सात सीटें मिली थीं और अब तक उसके तीन विधायक पार्टी छोड़कर चले भी गए हैं, ऐसे में उसके लिए अपना आधार बचा पाना सबसे बड़ी चुनौती है l अन्य राजनीतिक दलों से हटकर घोषणाएं करना और उन पर अमल करने का भरोसा दिलाना ही उसे इस मकसद में कामयाब बना सकता है l
यूपी के जिन जिलों में अभी तक मतदान हुए हैं या जहां अभी होने हैं, वहां पार्टी उम्मीदवारों की मौजूदगी तो दिखाई दे रही है, जगह-जगह प्रियंका गांधी की रैलियां और सभाएं भी हो रही हैं लेकिन जमीन पर पार्टी का संगठन बहुत कमजोर है, यह साफ देखा जा सकता है l
घोषणापत्र के बातों से महिलायें अनजान
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के लिए घोषणापत्र में जो बातें कही हैं, महिलाएं उनसे पूरी तरह से अनजान हों l रायबरेली के एक कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट कर रही एक छात्रा प्रियंका त्यागी का कहना था, “कांग्रेस पार्टी ने कम से कम महिलाओं और लड़कियों के लिए कहा तो है l दूसरी पार्टियों को भी उससे सीख लेनी चाहिए l शोषण की शिकार कई महिलाओं को उसने टिकट भी दिया है l कांग्रेस ने ही पंचायतों में भी महिलाओं को आरक्षण दिया था और महिला आरक्षण के लिए विधेयक भी ले आई थी जो आज तक पारित नहीं हो सका l हमें तो उम्मीद है कि कांग्रेस सरकार बनने पर अपने वादों को निभाएगी भी l”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह से मतदान में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, उसे देखते हुए कांग्रेस की घोषणाएं देर-सवेर महिलाओं को जरूर आकर्षित करेंगी और अभी भी कर रही हैं l यूपी की बात करें तो साल 2007 के विधानसभा चुनाव में जहां सिर्फ 42 फीसद महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, वहीं साल 2012 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 60.28 फीसद और साल 2017 में यह 63.31 प्रतिशत तक पहुंच गया था l
महिला मतदाता दशा और दिशा बदलने में सक्षम
आंकड़ों से साफ है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों में महिला मतदाता किसी भी दल की दशा और दिशा बदलने में सक्षम हैं l इसलिए वो राजनीतिक दलों से अपने हितों से संबंधित घोषणाओं की उम्मीद न करें, ऐसा संभव नहीं l कांग्रेस को इसका तात्कालिक लाभ कितना मिलता है, यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा लेकिन इसके जरिए महिलाओं से संबंधित मुद्दों का जो नैरेटिव उसने गढ़ा है, उसे दूसरे दल भी महत्व देने पर मजबूर होंगे l
कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में न सिर्फ राजनीतिक हिस्सेदारी की बात शामिल है बल्कि उन सब क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है जिनसे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके l मसलन, सरकारी पदों पर 40 फीसद महिलाओं की नियुक्ति, महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा, सस्ता ऋण, कामकाजी महिलाओं के लिए 25 शहरों में छात्रावास, आंगनबाड़ी महिलाओं के लिए 10 हजार रुपये हर महीने का मानदेय, राशन दुकानों में 50 फीसद का संचालन महिलाओं के हाथों में, स्नातक की लड़कियों को स्कूटी, 12वीं की छात्राओं को स्मार्ट फोन, पुलिस बल में 25 फीसद महिलाओं को नौकरी जैसी घोषणाएं की गई हैं l
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