प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, नेपाल और अमेरिका ने वर्ष 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य नेपाल में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है जिसमें विद्युत पारेषण लाइन और राष्ट्रीय राजमार्गों का सुधार शामिल है। सीपीएन-माओवादी सेंटर के चेयरमैन पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के प्रमुख माधव कुमार नेपाल उन नेताओ में शामिल थे. जिन्होंने रविवार की सुबह गठबंधन दलों की संयुक्त बैठक में भाग लिया। यह बैठक देउबा के आधिकारिक आवास बलुआतर में हुई, जिसमें आम सहमति से संसद में समझौते को पेश करने का फैसला लिया गया।
नेपाल सरकार ने विरोध के बीच रविवार को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की विवादास्पद मिलेनियम कॉरपोरेशन चैलेंज (एमसीसी) परियोजना से जुड़े समझौते को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया। अमेरिका की इस परियोजना को लेकर नेपाल में जोरदार विरोध प्रदर्शन भी हुए। आलम यह था कि प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों और टायरों को आग तक लगा दी।
नेपाल के वामपंथी राजनीतिक दल इस समझौते का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय हित में नहीं है.
जब सूचना, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने प्रतिनिधि सभा में समझौते को पेश किया, तो सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्यों समेत विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा इसका तीव्र विरोध किया गया। अधिकारियों ने कहा कि संसद के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के छोटे गुटों और कई वाम समर्थक युवा संगठनों ने रैलियां की और अमेरिका विरोधी नारे लगाए। नेपाल के वामपंथी राजनीतिक दल इस समझौते का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय हित में नहीं है और यह चीन का मुकाबला करने के लिए है।
अमेरिकी ने कहा है की इसे पारदर्शी रूप से गरीबी को कम करने और नेपाल की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए तैयार किया गया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीजिंग में शुक्रवार को कहा कि चीन नेपाल को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता देखकर खुश है, लेकिन यह बिना किसी राजनीतिक बंधन के मिलनी चाहिए। उधर अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को एक बयान में कहा था कि 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का एमसीसी अनुदान अमेरिकी लोगों की ओर से एक उपहार है।
अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा गया, “दोनों देशों के बीच साझेदारी से नेपाल में रोजगार और बुनियादी ढांचे का सृजन होगा जिससे नेपालियों के जीवन में सुधार होगा। इस परियोजना का अनुरोध नेपाली सरकार और नेपाली लोगों द्वारा किया गया था और इसे पारदर्शी रूप से गरीबी को कम करने और नेपाल की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए तैयार किया गया था।
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