अक्सर बुजुर्गों के बारे में कहा जाता है कि बुढ़ापे में वो सठिया जाते हैं | कहने का मतलब ये कि उनके सोचने समझने की क्षमता कम होने लगती है | लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या वाकई में ऐसा होता है ? इस बात में कितनी सच्चाई है ? खैर ! आपको बता दूं कि इन सवालों का जवाब जर्मनी के वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में ढूंढ निकाला है |
क्या कहती है रिसर्च रिपोर्ट
रिपोर्ट कहती है, 60 साल की उम्र में इंसान का दिमाग भी उतना ही तेज काम करता है जितना किसी 20 साल के युवा का करता है| इसके लिए भी एक शर्त है| अब तक यह माना जाता रहा है कि 40 साल की उम्र के बाद दिमाग के काम करने की स्पीड में कमी आती है| लेकिन नई रिसर्च में इस बात को साफ़ खारिज कर दिया है |
ढलती उम्र के साथ दिमाग और तेज काम करता है, ये कैसे पता चला ?
न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उम्र के ढलने पर दिमाग के काम करने की गति कितनी धीमी हो जाती है, इसे समझने के लिए जर्मनी की हिंडलबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रिसर्च की| रिसर्च में 10 लाख लोगों को शामिल किया गया| जिसमे से 10 साल के बच्चे से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग तक शामिल थे|
सभी लोगों से पॉजिटिव-निगेटिव शब्दों और फोटो को अरेंज करने को कहा गया| इसके लिए कुछ नियम बनाए गए और समय तय किया गया| इस प्रयोग के दौरान उनकी हर एक्टिविटी पर बारीकी से नजर रखी गई|
आपको बता दूं कि रिपोर्ट चौंकाने वाली थी| परिणाम के तौर पर सामने आया कि इनके दिमाग की स्पीड भी 20 साल तक के युवा जैसी ही रही| इससे साबित हुआ है कि 60 साल की उम्र तक इंसान का दिमाग धीरे काम नहीं करता| हालांकि, 60 साल की उम्र के बाद दिमाग के काम करने की स्पीड में धीरे-धीरे कमी आने लगती है|
बुढ़ापे में तेज दिमाग के लिए ये करें
शोधकर्ता मिश्चा वॉन का कहना है कि दिमाग के काम करने की स्पीड इस बात पर निर्भर करती है कि वह इंसान किस तरह की एक्टिविटी में शामिल होता है| उसकी दिनचर्या कैसी है| आसान भाषा में समझें तो आप जिस तरह की एक्टिविटी करते हैं आपके दिमाग की स्पीड भी वैसी ही होती है| जैसे- शारीरिक श्रम करने वालों में दिमाग की स्पीड मानसिक श्रम करने वालों के मुकाबले कम पाई गई|
दिमाग पुराने फैसलों को याद रख फैसले लेता है
बॉस्टन कॉलेज के डॉ. जोशुआ हार्टशोर्न कहते हैं, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है दिमाग वर्तमान की स्थिति के आधार फैसले लेने लगता है| आसान भाषा में समझें तो जब गाड़ी चलाते समय कोई अवरोध सामने आता है तो इंसान अपने आप गाड़ी की रफ्तार को धीमा कर लेता है, उसी तरह दिमाग को भी पिछले फैसले याद रहते हैं और उसी के आधार पर वर्तमान में फैसले लेता है|
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