OSHAJ ने कराया सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों के सीने का एक्स-रे
पूर्वी सिंहभूम जिलान्तार्गत डुमुरिया के 15 सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों के छाती का एक्स-रे आज जमशेदपुर के एक DIOGNOSTIC सेंटर में कराया गया। इस दौरान ओशाज के कार्यकर्त्ता एवं सिलिकोसिस आक्रांत मजदूर मौजूद थे। सफेद पत्थर यानी कोयरटज पत्थर से पाउडर बनाने वाली इकाई को रैमिंग मास फैक्ट्री कहा जाता है, जहां उक्त मजदूर पुरनापानी, मुसाबनी स्थित के के मिनरलस एवं केंदाडीह के के इंडस्ट्रीज में कार्यरत रहे है।
जांच के बाद सिलिकोसिस ग्रस्त मजदूरों को कम्बल और सुखा राशन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन ओशाज की लक्ष्मी सोरेन एंव मोनिका गोप ने किया।
कंपनी ने भी आततायी बनकर गरीब मजदूरों को मारने का काम किया
OSHAJ यानि ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ झारखण्ड के महासचिव समित कर ने बताया, कि इन इकाइयों में विभिन्न समय में मुसाबनी, घाटशिला, डुमुरिया व गुडा़बांधा प्रखंडों के 500 से अधिक मजदूरों कार्यरत रहे हैं। अब तक 200 मजदूरों का मौत हो चुकी है। साल 2008 में पुरनापानी की इकाई धालभूमगढ़ में ले जाया गया। नाम बदलकर कृष्णा एंड कृष्णा उद्योग रखा गया, जहां लगभग 30 से अधिक मजदूरों का मौत हो चुकी है । केंदाडीह वाली कंपनी पाउरु पोटका स्थानांतरित हो गई और नाम बदलकर शालिग्राम सुपर सिलिकॉ प्राईवेट लिमिटेड हो गया। यहां भी भगवान की नाम से बनी कंपनी ने भी आततायी बनकर गरीब मजदूरों को मारने का काम किया।
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 2000 मजदूरों की मौत सिलिकोसिस से
श्री कर ने बताया, कि फैक्ट्री मालिक ने कार्यस्थल में मजदूरों की पेशागत सुरक्षा एवं स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया। सरकारी नियत्रक संस्थाओं एवं विभागों के चलते जिले के सिर्फ रैमिंग मास इकाई के 1,000 मजदूरों की मौत पिछले 15 -20 वर्षों में हुई है। पोटका में लगभग 15 महिला आदिवासी मजदूरों की मौत सिलिकोसिस से हो गई। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्रों में अनुमानिक 2000 से भी अधिक मजदूरों की मौत सिलिकोसिस से हो गई है।
सिलिकोसिस मजदूरों एवं मृतकों के आश्रितों को मिले आर्थिक सहायता
उन्होंने साल 2012 में राज्य सरकार द्वारा बनाए गए State Action Plan for Prevention and Mitigation of Silicosis को लागू कराने की मांग करते हुए कहा, कि इससे सिलिका धुल उत्सर्जनकारी इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों का नियमित एक्स-रे सहित सेहत की जांच कराई जाय और सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों को चिन्हित किया जा सके, ताकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की आदेश तथा 19/01/2022 मे झारखंड सरकार द्वारा मंत्री मंडल में पारित निर्णय के आलोक में सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों एवं सिलिकोसिस से मृतकों के आश्रितों को आर्थिक सहायता की जा सके तथा विधवाओं को पेंशन देना सुनिश्चित किया जा सके।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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