बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी जिन्होंने पत्नी के प्रेम में पहाड़ का सीना चीर कर रास्ते का निर्माण कर दिया था. उनके एकला चलो के दृढ़ संकल्प की वजह से देश-दुनिया में उनका नाम अमर हो गया. उनकी जीवनी के ऊपर ‘मांझी द माउंटेनमैन’ नाम की बॉलीवुड फिल्म भी बनी, जिसमें मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने बेहतरीन अभिनय से दशरथ मांझी के किरदार को जीवंत कर दिया था. लेकिन, बिहार का ही हिस्सा रहे झारखंड के देवघर जिले में भी दशरथ मांझी की तरह एकला चलो के संकल्प को सार्थक कर रहे समीर अंसारी की कहानी को कम ही लोग जानते हैं.
आज उस समीर अंसारी की कहानी बताने जा रहा है जो कहीं न कहीं दशरथ मांझी से मिलती है. दरअसल देवघर के समीर अंसारी 5 सालों से अकेले एक बांध और तालाब का निर्माण कर रहे हैं वह भी सिर्फ इसलिए कि लोगों को पेयजल मिल सके समीर अंसारी को स्थानीय लोग पागल कहते हैं. लेकिन यह पागलपन इस कदर जुनून में तब्दील हो चुका है कि समीर अंसारी कहते हैं कि जब तक खोदेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं.
इस बात का दर्द है कि कल पानी नहीं होगा तो स्थानीय लोग कैसे जी पाएंगे?
बिहार के दशरथ मांझी अपनी पत्नी से इतना प्रेम करते थे जिस पहाड़ की वजह से रास्ते नहीं मिलने के कारण उनकी पत्नी की जान गई, उस पहाड़ का सीना चीर कर उन्होंने रास्ते का निर्माण कर दिया था. उसी तरह समीर अंसारी को इस बात का दर्द है कि कल पानी नहीं होगा तो स्थानीय लोग कैसे जी पाएंगे? समीर अंसारी देवघर के दशरथ मांझी हैं. देवघर नगर निगम क्षेत्र के गुली पाथर के रहने वाले समीर अंसारी पिछले 5 सालों से एक बांध और तालाब की खुदाई अपने हाथों से कर रहे हैं.
देवघर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली डढ़वा नदी के किनारे एक बंजर भूमि को पिछले 5 सालों से एक कुदाल के सहारे मिट्टी काटकर बांध का निर्माण कर रहे हैं. इस कार्य को देखकर लोग इनका मजाक भी खूब उड़ाते हैं. लेकिन आज यह बांध काफी हद तक बन गया है और तालाब की खुदाई जारी है.
समीर की मेहनत रंग लाइ
समीर अंसारी कहते हैं कि इस क्षेत्र में पानी की काफी किल्लत है. ऐसे में वार्ड नंबर 9 के कई ऐसे घर हैं जो नहाने और कपड़े धोने के लिए डढ़वा नदी के इसी गंदे पानी में नहाने और कपड़े धोने के लिए आते हैं. गर्मी के दिन में यह गंदा पानी भी इन लोगों को नहीं नसीब होता है. इस बात की पीड़ा इस कदर समीर अंसारी को होती रही कि पानी बचाने के लिए इन्होंने एक मुहिम चला दी खुद हाथों में कुदाल लेकर बंजर जमीन को खोजना शुरू कर दिया पिछले 5 सालों से यह सुबह 5 बजे निकल पड़ते हैं और शाम तक खुदाई करते रहते हैं लोग इन्हें पागल और आवारा कहते हैं.
लेकिन, इसका समीर पर कोई फर्क नहीं पड़ता आज बांध और तालाब काफी हद तक बन चुका है और इसमें अब पानी का ठहराव भी होने लगा है. समीर कहते हैं कि कल पानी नहीं होगा तो हम अपनी पीढ़ियों को क्या जवाब देंगे ऐसे में लोगों की परवाह न करते हुए दिन रात तालाब की खुदाई है और बांध का निर्माण करते रहते हैं.
लोग कहते थे पागल, उड़ाते है मज़ाक
समीर अंसारी सुबह 5 बजे अपने घर से निकल जाते हैं और दिन भर यहां खुदाई करते रहते हैं. जब कभी थक जाते हैं तो अखबार पढ़ना शुरू कर देते हैं. घर से कोई आकर इन्हें खाना दे जाता है और जमीन पर बैठकर ही यह खाना भी खा लेते हैं. 5 सालों तक इन्हें लोग पागल कहते रहे. लेकिन, अब कुछ लोग इनके कार्यों की सराहना भी करने लगे हैं. गोली पत्थर के किनारे डढ़वा नदी गुजरती है लेकिन इसमें सिर्फ गंदा पानी ही आता है.
लेकिन इस क्षेत्र में पानी की काफी कमी है. ऐसे में महिला और पुरुष इसी में स्नान और कपड़े धोने का काम करते हैं जिसे देखकर समीर को काफी पीड़ा होती है. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस तालाब के बन जाने से बरसात का पानी इस में ठहरने लगेगा जिससे ना सिर्फ वाटर लेवल बढ़ेगा बल्कि स्नान करने के साथ साथ मवेशियों को भी पानी पीने को मिलेगा.
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