2019 की तुलना में 2020 में चीन से भारत का व्यापार महामारी के कारण कम हुआ था. भारत का चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है. भारत के लिए व्यापार घाटा एक पुरानी चिंता है और यह ख़त्म होने के बजाय बढ़ रही है.गर प्रतिशत में देखें तो पिछले साल की तुलना में चीन और भारत के बीच आयात-निर्यात दोनों बढ़ा है, लेकिन व्यापार घाटा भारत का है. व्यापार घाटे का मतलब है कि भारत चीन से ज़्यादा ख़रीद रहा है और कम बेच रहा है. भारत का चीन से आयात 46.2 प्रतिशत बढ़ा है जबकि निर्यात भी 34.2 फ़ीसदी बढ़ा है.
व्यापार घाटे का मतलब है कि भारत चीन से ज़्यादा ख़रीद रहा है और कम बेच रहा है.
चीन से भारत इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी के अलावा कई तरह के केमिकल ख़रीदता है. ये केमिकल भारत के फ़ार्मा इंडस्ट्री के लिए अहम हैं. इसके अलावा ऑटो पार्ट्स और मेडिकल सप्लाई भी शामिल है.भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2021 में इन सभी चीज़ों का आयात बढ़ा है. चीन से लैपटॉप और कंप्यूटर, ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर के अलावा एसिटिक एसिड का आयात रिकॉर्ड बढ़ा है.
वहीं भारत मुख्य रूप से चीन को चावल, सब्ज़ियां, सोयाबीन, फल, कॉटन और सी फ़ूड बेचता है. भारत चीन को तैयार माल नहीं बेचता है.पिछले पाँच सालों का डेटा देखें तो पता चलता है कि भारत का चीन से व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. 2017 में चीन से भारत का व्यापार घाटा 51 अरब डॉलर था जो 2021 में 69.4 अरब डॉलर पहुँच गया.
मई 2014 से पहले चीन का निवेश 116 अरब डॉलर था जो आज बढ़कर 160 अरब डॉलर हो गया है.
दुश्मन पर कई मामलों में निर्भर होना कूटनीति में कमज़ोरी मानी जाती है. चीन को अगर भारत अपना दुश्मन मानता है तो यह भी एक कड़वा सच है कि भारत चीन पर काफ़ी हद तक निर्भर है.दुनिया के कई देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें भारत भी शामिल है.सुषमा स्वराज ने कहा था, ”मई 2014 से पहले चीन का निवेश 116 अरब डॉलर था जो आज बढ़कर 160 अरब डॉलर हो गया है. चीन ने भारत में भारी निवेश किया है और उनका रिस्क यहाँ ज़्यादा है.”सुषमा स्वराज जो बात 2017 में कह रही थीं ठीक उससे अलग क़दम मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में एलएसी पर तनाव बढ़ने के बाद उठाया. इनमें चीनी निवेश पर निगरानी बढ़ाई गई. लेकिन इसके बावजूद भारत का चीन से आयात कम नहीं हुआ.
जब चीन के साथ व्यापार 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुँचा है. इसमें भारत ने 97.5 अरब डॉलर का आयात किया है और निर्यात महज़ 28.1 अरब डॉलर का है.
कोविड महामारी में सप्लाई चेन बाधित हुआ तो चीन पर निर्भरता और बढ़ गई. पिछले महीने व्यापार का डेटा जारी हुआ तो पता चला कि 2021 में भी चीन से भारत का आयात बढ़ा है. चीन से भारत का व्यापार तब बढ़ रहा है, जब दोनों देशों में तनाव है. बढ़ते व्यापार को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों मुल्कों के बीच सब कुछ सामान्य हो गया है.
चाइना जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ़ कस्टम (जीएसी) ने जनवरी में भारत से व्यापार का डेटा जारी किया था. इस डेटा के अनुसार, 2021 में भारत का चीन के साथ व्यापार 125.6 अरब डॉलर पहुँच गया.यह पहली बार है, जब चीन के साथ व्यापार 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुँचा है. इसमें भारत ने 97.5 अरब डॉलर का आयात किया है और निर्यात महज़ 28.1 अरब डॉलर का है. आयात और निर्यात दोनों रिकॉर्ड हैं.
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