झारखंड की पंचम विधानसभा का आठवां सत्र भी बिना नेता प्रतिपक्ष के चलेगा. राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार के बनने के बाद विधानसभा के सात सत्र आहूत किये गये हैं- इसमें दो बजट सत्र, दो मॉनसून सत्र, एक शीतकालीन सत्र और दो विशेष सत्र शामिल हैं.
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इन सभी सत्र में विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल सका है. आगामी पच्चीस फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है जो करीब एक महीने का होगा. मगर इस बार भी सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रहेगी. विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का नाम बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष के लिए दिया है. लेकिन दल-बदल के तहत उनका मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में लंबित है.
दरअसल किसी भी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र होता है. झारखंड विधानसभा में लगातार तीसरे वर्ष बगैर नेता प्रतिपक्ष के सत्र चल रहा है. भले ही विपक्ष के द्वारा नेता प्रतिपक्ष के मामले पर वर्ष 2000 के बजट सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ा दी गयी हो. लेकिन इसका असर नहीं दिखा. इस मामले पर समाधान की बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष राजनीति करने में लगा हुआ है.
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बता दें कि वर्ष 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) ने तीन सीटें जीती थीं. इसके बाद जेवीए का बीजेपी में विलय हो गया था और उसके अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी बीजेपी में वापस लौट गए थे. वहीं, शेष दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप महतो ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. वर्तमान स्पीकर के न्यायाधिकरण में तीन विधायकों पर दल-बदल का मामला चल रहा है. दो वर्ष हो गए लेकिन अभी तक इस मामले का कोई नतीजा निकला नहीं है.
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