झारखंड विधानसभा का बजट सत्र हंगामेदार रह सकता है. 25 फरवरी से 25 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी बीजेपी ने शुरू कर दी है. 17 दिनों के कार्यदिवस में राज्य के 17 से ज्यादा ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को सदन में निरुत्तर करने की रणनीति पर बीजेपी ने होमवर्क करना शुरू कर दिया है.
झारखंड में बजट सत्र को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज होने लगी है. राज्य में गठबंधन वाली सरकार के गठन के बाद से विधानसभा सत्र के दौरान हंगामा ही हंगामा देखने को मिला है. इस बार जब 25 फरवरी से बजट सत्र का आगाज होने वाला है, तब राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने हेमंत सोरेन सरकार की नाकामियों को सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया है.
इन मुद्दों पर गरमा सकता है सदन का माहौल
- JPSC के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हल्ला
- राज्य में रिक्त पड़े पदों पर सरकार की उदासी
- हर साल 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने का सच
- पंचायत सचिव के मामले में राज्य सरकार का रवैया
- स्थानीय एवं नियोजन नीति का अब तक नीति निर्धारण नहीं होना
- झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को नियुक्ति में अधिकार का मसला
- भोजपुरी – मैथली और अंगिका के सवाल पर भाषायी विवाद
- राज्य में बालू – पत्थर और कोयला की लूट
- कोयला के अवैध उत्खनन में ग्रामीणों की मौत का मामला
- सिमडेगा में मॉब लिंचिंग की घटना में सरकार की करवाई
- राज्य में गिरती कानून व्यवस्था और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार
17 दिनों का तक चलने वाले बजट सत्र
17 दिनों तक चलने वाले बजट सत्र में विपक्ष के पास मुद्दों की कोई कमी नहीं है. अब किस दिन कौन से मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरना है, इसका फैसला विधायक दल की बैठक में तय होगा. बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि राज्य में मॉब लिंचिंग को लेकर कानून बनाया गया. इस कानून के अंदर के तरह की कमियां हैं. सिमडेगा में जो घटना घटी उसको लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई संदेह के घेरे में है. राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है.
सत्ता पक्ष ने दो तरह की बनाई रणनीति
सदन में विपक्ष के कड़े तेवर का जवाब देने के लिये सत्ता पक्ष ने भी दो तरह की रणनीति बनाई है. पहला विभागीय मंत्री के द्वारा सदन में पूछे गए सवाल का सटीक जवाब देना और दूसरा विपक्ष के बेवजह हंगामे का जवाब उसी के अंदाज में देना. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने तो अभी से ही विपक्ष को जवाब देने के लिये कमर कस ली है. उनका साफ कहना है कि मुद्दों पर सदन का संचालन होता है तो उनका समर्थन रहेगा और अगर विपक्ष हंगामे की राजनीति करता है तो उसे उसकी के अंदाज में जवाब दिया जाएगा.
बजट सत्र हमेशा से ही ज्यादा कार्य दिवस वाला रहा है.बजट सत्र भले ही 25 फरवरी से 25 मार्च तक चलने वाला है, पर कार्य दिवस के नाम पर 17 दिन ही है. अब ऐसे में ये देखना होगा कि बजट सत्र इस बार राज्य की जनता के लिये कितना उपयोगी हो पाता है और जनता से जुड़े कितने सवाल सदन के पटल पर रखे जाते हैं.
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