भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और मौजूदी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही यूपी कई प्रधानमंत्रियों का चुनावी क्षेत्र उत्तर प्रदेश रहा है.इस बार यूपी में सात चरणों में हो रहे चुनाव में 15 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.”भारत में केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुज़रता है”, राजनीतिक गलियारों की ये कहावत न तो पहली बार कही जा रही है और न ही आख़िरी.करीब 24 करोड़ की आबादी के साथ यूपी भारत का सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला राज्य है. अगर यूपी को अलग देश माना जाए तो चीन, भारत, अमेरिका और इंडोनेशिया के बाद ये आबादी के लिहाज़ से दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश होगा.उत्तर प्रदेश में देश की सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटें हैं और यह कहा जाता है कि जो पार्टी उत्तर प्रदेश में जीतती है केंद्र में वो सत्ता में रहती है.
साल 2017 के बीते विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में लोगों ने बीजेपी को अपनी पहली पसंद बनाया था .
बीते कुछ हफ़्तों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंदर ऐसे दर्ज़न भर से भी ज़्यादा मामले देखने को मिले, जहां बीजेपी प्रत्याशियों पर कीचड़ फेंकी गई, उन्हें काले झंडे दिखाए गए या फिर उनपर पत्थरबाज़ी की गई हो.मेरठ और इससे सटे पश्चिमी यूपी के ज़िलों में गुरुवार को सात में से पहले चरण के चुनाव के दौरान मतदान हुआ. साल 2017 के बीते विधानसभा चुनाव में इस इलाके में लोगों ने बीजेपी को अपनी पहली पसंद बनाया लेकिन इस बार ये राह थोड़ी मुश्किल है.
राकेश टिकैत ने यूं तो किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है लेकिन उन्होंने अपने समर्थकों को ऐसे पर्याप्त संकेत दिए हैं कि “वे किसानों का अपमान करने वाली पार्टी को वोट न दें”एक और कारण है, जिसकी वजह से बीजेपी को झटका लग सकता है. भूली-बिसरी क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) का जयंत चौधरी के नेतृत्व में एक बार फिर से उभरना. भारत के पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के पोते और अलग-अलग सरकारों में मंत्री रह चुके अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने आरएलडी में एक बार फिर जान फूंकी है.
किसान केंद्र की मोदी सरकार के लाए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर नवंबर 2020 से ही विरोध प्रदर्शन किया था .
बीजेपी के ख़िलाफ़ लोगों में गुस्से का अंदाज़ा ठीक एक साल पहले के एक और कड़ाके की ठंड वाले दिन से लगाया जा सकता है, जब इस क्षेत्र से ताल्लुक़ रखने वाले प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने रोते हुए एक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में वे अपने समर्थकों से दिल्ली की सीमा पर डटे रहने को कह रहे थे.ये किसान केंद्र की मोदी सरकार के लाए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर नवंबर 2020 से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. वीडियो के आने से कुछ दिनों पहले तक सीमाओं पर किसानों की भीड़ कम होने लगी थी.
लेकिन क़ानून वापसी तक पर्याप्त नुकसान हो चुका था. अब राकेश टिकैत राज्य में बीजेपी विरोधी किसानों का चेहरा बन चुके हैं.साल 2017 में, इस क्षेत्र में विधानसभा की 70 में से 50 से अधिक सीटें बीजेपी को मिली थी. यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं. उस समय राष्ट्रवाद और हिंदू वोटों के एकजुट होने से बीजेपी ने ये करिश्मा कर दिखाया.
Also Read: अब पूरी तरह से चीन के पाले में समा गया है पाकिस्तान:इमरान खान की बीजिंग यात्रा
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!