कोरोना वायरस का संकट अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. भले ही कोरोना के केस में आई गिरावट से लोगों ने चैन की सांस ली है, लेकिन अभी कई रिपोर्ट्स ऐसी सामने आ रही हैं, जो टेंशन बढ़ाने वाली है. अब एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें लॉन्ग कोविड की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद लोगों में लॉन्ग कोविड हो सकता है और इसका असर भी लंबे वक्त तक रह सकता है. इस रिपोर्ट के बाद से लोगों की टेंशन बढ़ गई है और लोगों में इस लॉन्ग कोविड को लेकर कई सवाल हैं.
ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ये लॉन्ग कोविड क्या होता है और यह किस तरह से शरीर पर असर पर डालता है. साथ ही ओमिक्रॉन से इसका क्या संबंध है और जानते हैं इस पर डॉक्टर्स का क्या कहना है. तो जानते हैं इससे जुड़ी कई खास बातें…
क्या है ये लॉन्ग कोविड?
दरअसल, लॉन्ग कोविड का पता एक बार कोरोना होने के कई हफ्तों बाद चलता है. यानी जब कोरोना होकर ठीक हो जाता है तो कुछ हफ्तों बाद फिर से कोरोना के लक्षण आने लगते हैं, जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मारिया वान केरखोव का कहना है, लंबे समय तक सामने आने वाले ये लक्षण या लॉन्ग कोविड कोरोना होने के करीब 90 दिन बाद सामने आते हैं. माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण सामने आ सकते हैं.
अनुमान क्या बताते है ?
कुछ अनुमान बताते हैं कि एक तिहाई से अधिक कोविड -19 बचे लोगों में लॉन्ग कोविड के कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं. वहीं, अगर लक्षणों की बात करें तो इन लक्षणों में थकान, सांस की तकलीफ, टेंशन और अन्य समस्याएं शामिल हैं. साथ ही कहा जा रहा है कि अगर जो लोग कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए उन्हें बीमारी की संभावना अधिक है, लेकिन कई रिसर्च बताती है कि यह हल्के संक्रमण के बाद भी हो सकता है.
ओमिक्रॉन का कहर पिछले साल से बढ़ गया था और इस वेरिएंट को डेल्टा से कम खतरनाक माना गया था. वहीं, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की डॉक्टर लिंडा गेंग ने बताया कि यह साफ नहीं कहा जा सकता है कि यह लॉन्ग कोविड है, बल्कि यह नई लहर भी हो सकती है. साथ ही उनका कहना है कि इसके लिए हमें सावधान और पहले से तैयार रहने की आवश्यकता है. हालांकि, अभी इस पर रिसर्च जारी है, जिसमें कई चीजें सामने आनी हैं.
क्या है ओमिक्रॉन की बहन?
हाल ही में ओमिक्रोन के सब-वेरिएंट यानी उप-संस्करण के मामले दिखाई दिए, जिसे बीए.2 (ba.2) नाम दिया गया है. 50 से अधिक देशों में यह जोर पकड़ रहा है. द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के रिसर्चर पॉल ग्रिफिन ने द कन्वरसेशन पर इस बारे में विस्तार से लिखा है. उन्होंने इसे ओमिक्रॉन की बहन बताया है. उनका कहना है कि इस नए सब-वेरिएंट बीए.2 (ba.2) को ओमिक्रोन वेरिएंट बीए.1 (या बी.1.1.529) की बेटी कहने की बजाय, ओमिक्रोन की बहन कहना ज्यादा सही रहेगा.
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