गायन की मल्लिका लता मंगेशकर पूरे भारत की शान है, शान थी और हमेशा रहेंगी। आज पूरे देश का दिल भर आया है। आज स्वर कोकिला लता जी हमारे बीच नहीं रही। ये तो हम सभी जानते हैं कि उन्हें काफी छोटी उम्र से गाने का शौक था। rejection के बाद भी उन्होंने अपनी इस मंजिल को पाने के लिए हर कड़ी मेहनत की। जिसके परीणामस्वरूप लता मंगेशकर जी ने इस इंडस्ट्री में 30 हजार से भी ज्यादा गाने गए हैं।
भाई से बहन ने नहीं की थी 13 साल तक बात
आज के समय में अगर संगीत परिभाषा लता मंगेशकर जी को कहें तो कतई गलत नहीं होगा। हम सभी को पता है कि लता जी मराठी परिवार से संबंध रखती थी। एक बार, साल 1957 में ‘मुसाफिर’ फिल्म के गाने ‘लागी नाहीं छूटे’ के वक्त दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर पर कमेंट किया था कि ‘मराठियों की उर्दू बिल्कुल दाल और चावल की तरह होती है. फिर क्या दिलीप जी की इस टिप्पणी को सुन लता जी का पारा चढ़ गया था. हैरानी की बात ये है कि अपने मतभेद की वजह से दोनों ने 13 साल तक बात नहीं की थी। दिलीप कुमार अपनी जिंदगी में दो लोगों को खूब मानते थे जिसमें पहली लता मंगेशकर और दूसरे शाहरुख खान थे।
आखिरकार दिलीप कुमार जी और लता मंगेशकर जी का रिश्ता साल 1970 में जाकर ठीक हुआ। इस दौरान लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार को राखी बांधी थी, जिसके बाद दोनों की लंबी लड़ाई का अंत हुआ। इसके बाद ही लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार को राखी बांधना शुरू किया। लता मंगेशकर दिलीप कुमार के अलावा गायक मुकेश और संगीतकार मदन मोहन को भी राखी बांधती थीं।
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