झारखंड में अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार के लगातार मामले सामने आते रहते हैं. पुलिस के आंकड़े बोलते हैं कि पिछले सात वर्षों में डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में हर साल औसतन 35 हत्याएं हुईं हैं. अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में डायन बताकर 46 लोगों की हत्या हुई. साल 2016 में 39, 2017 में 42, 2018 में 25, 2019 में 27 और 2020 में 28 हत्याएं हुईं।
2021 में लगभग दो दर्जन मामले
2021 के आंकड़े अभी पूरी तरह कंपाइल नहीं हुए हैं, लेकिन इस वर्ष भी हत्याओं के आंकड़े करीब दो दर्जन बताये जा रहे हैं. हाल में अलग-अलग वजहों से दो महीने के दौरान गांव के तीन लोगों की मौत हुई थी. इसके साथ ही डायन-बिसाही के नाम पर हिंसा को लेकर पुलिस और प्रशासन सतर्क हो गया है, लेकिन लगातार वारदात की घटनाएं घट रही हैं. इससे प्रशासन चिंतित है और राज्य सरकार ने सामाजिक रूप से लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है.
सबसे ज़्यादा मामले गढ़वा से
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस तरह सात वर्षों का आंकड़ा कुल मिलाकर 230 से ज्यादा है. डायन बताकर प्रताड़ित करने के मामलों की बात करें 2015 से लेकर 2020 तक कुल 4556 मामले पुलिस में दर्ज किये गये. यानी हर रोज दो से तीन मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं. बीते छह वर्षों में सबसे ज्यादा मामला गढ़वा में आये। यहां 127 मामले दर्ज किये गये, जबकि पलामू में 446, हजारीबाग में 406, गिरिडीह में 387, देवघर में 316, गोड्डा में 236 मामले दर्ज किये गये हैं.
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