कर्नाटक के उडुपी जूनियर कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर विवाद में कॉलेज प्रबंधन और छात्राओं ने अपना रुख़ कड़ा कर लिया है, वहीं अब ये विवाद उडुपी ज़िले के दो और कॉलेजों के साथ ही शिवमोगा ज़िले के भद्रावती तक फैल गया है.छात्रों के दो गुटों के बीच हिजाब और भगवा शॉल पहनने का मुक़ाबला कर्नाटक हाईकोर्ट में भी पहुँच गया है.लेकिन सरकार ने अभी तक इस सवाल पर अपना रुख़ साफ़ नहीं किया है कि सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के स्टूटेंड्स के लिए यूनिफ़ॉर्म तय करने की ज़रूरत है या नहीं.
बुधवार को, उडुपी ज़िले के तालुका कुंडापुर में सरकारी पीयू कॉलेज में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों के हिजाब पहनने के विरोध में कॉलेज में कुछ लड़कों को भगवा शॉल पहने देखा गया. विरोध के चलते बुधवार को लगभग दो दर्जन स्टूडेंट्स के कॉलेज में घुसने की कोशिश करने पर प्रिंसिपल ने उन्हें रोकने के लिए कॉलेज का गेट बंद करा दिया.
उडुपी के बीजेपी विधायक और गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज की कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के चेयरमैन रघुपति भट ने बीबीसी हिंदी को बताया, “जहां तक हमारा सवाल है, इस मसले को सुलझा लिया गया है. और हमने लड़कियों को भी अपने फ़ैसले के बारे में बता दिया है.”उन्होंने बताया, “हमने कहा है कि सरकार की हाई पावर कमेटी एक बार अपनी रिपोर्ट दे दे तो हम इसे लागू कर देंगे. जब तक वह रिपोर्ट नहीं आती, हम एक महीने की अटेंडेंस दे देंगे और हम इन लड़कियों के लिए स्पेशल क्लासेज़ भी लगाएंगे, जो ग़ैरहाज़िरी की वजह से छूटी उनकी पढ़ाई की भरपाई के लिए है. हमने उनसे कहा है कि कृपा कर इस दौरान हिजाब न पहनें.”
याचिका में तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 (1) के तहत लिबास का चुनाव एक मौलिक अधिकार है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्राओं की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है, जो कि दोनों अलग-अलग मुद्दों पर आधारित हैं.एक याचिका में तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 (1) के तहत लिबास का चुनाव एक मौलिक अधिकार है.जिस ड्रेस कोड में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है, वह क़ानून-व्यवस्था या समाज की नैतिकता के लिए नहीं है.पाँच स्टूडेंट्स की ओर से दायर दूसरी याचिका में कहा गया है कि 2021-22 की एकैडमिक गाइडलाइंस में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई यूनिफ़ॉर्म तय नहीं की गई है.
दोनों याचिकाओं में केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ के फ़ैसले का हवाला दिया गया है.
याचिका के अनुसार गाइडलाइंस में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई कॉलेज यूनिफ़ॉर्म तय करता है तो उसके ख़िलाफ़ विभाग सख़्त कार्रवाई करेगा.दोनों याचिकाओं में केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ के फ़ैसले का हवाला दिया गया है, जिसने नीट परीक्षा में सिर पर स्कार्फ़ पहनने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को बरक़रार रखा था.कुंडापुर के विधायक हलादी श्रीनिवास शेट्टी कहते हैं, “‘पहले एक या दो स्टूडेंट इसे पूरी तरह सेहत के आधार पर पहनती थीं. लेकिन अब अचानक सभी 27 स्टूडेंट्स यह पहनने लगी हैं.”शेट्टी का कहना है, “सरकार ने एक कमेटी बनाई है जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है. हम शैक्षणिक सत्र के ख़ात्मे की ओर बढ़ रहे हैं और कोई नहीं जानता कि यह कब आएगी. कुल मिलाकर, यह कोई अच्छी हालत नहीं है.”
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