उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उन तमाम दिग्गज नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया है, जिन्होंने अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने पुत्र-पुत्रियों को सियासी रण में उतारने का सपना संजो रखा था. केंद्र और राज्य के मंत्री सहित बीजेपी के कई नेता इस फेहरिश्त में शामिल थे. इसके बावजूद बीजेपी नेतृत्व ने बड़े नेताओं के बेटा-बेटी या रिश्तेदार के बजाय संगठन से जुड़े लोगों और नए चेहरों पर भरोसा जताया है.
इनका टूटा सपना
रीता बहुगुणा जोशी
प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ कैंट सीट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए बीजेपी से टिकट मांग रही थी,रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से दो बार विधायक रह चुकी हैं और अब वो इस सीट से अपने बेटे को विधायक बनाना चाहती थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनके बेटे के बजाय बृजेश पाठक को टिकट दिया है. हालांकि, रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के टिकट के लिए अपनी संसदीय सीट तक छोड़ने को लेकर बकायदा पार्टी नेतृत्व के पत्र भी लिखा था.
न तो हृदय नारायण दीक्षित को टिकट दिया और न ही उनके बेटे दिलीप को
उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट की दावेदारी के लिए बीजेपी ने बसपा से अनिल सिंह को प्रत्याशी बनाया है. उन्नाव की भगवंतनगर सीट पर हृदय नारायण दीक्षित को भी प्रत्याशी नहीं बनाया है बल्कि आशुतोष शुक्ला को टिकट दिया है. हालांकि, इस सीट पर दिलीप दीक्षित दावेदारी प्रबल मानी जा रही थी. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने न तो हृदय नारायण दीक्षित को टिकट दिया और न ही उनके बेटे दिलीप को किसी सीट से प्रत्याशी बनाया.
कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी अपने बेटे अनूप पचौरी के लिए कानपुर की गोविंदनगर सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं, लेकिन पार्टी ने सुरेंद्र मैथानी को उतारा है. ब्राह्मण बहुल इस सीट पर सत्यदेव दो बार विधायक रहे हैं, लेकिन 2019 में उनके सांसद बनने के बाद सुरेंद्र मैथानी विधायक बने हैं और दोबारा बनाया है.
पार्टी ने मनीष रावत को प्रत्याशी बनाया है
लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर अपनी पत्नी जयदेवी को मलिहाबाद सीट से बीजेपी का दूसरी बार टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन अपने बेटे विकास किशोर और प्रभात किशोर में से किसी एक को भी प्रत्याशी नहीं बनवा सके. प्रभात किशोर सीतापुर की सिधौली सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने मनीष रावत को प्रत्याशी बनाया है.
लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से सांसद व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर अपनी पत्नी जयदेवी को मलिहाबाद सीट से बीजेपी का दूसरी बार टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन अपने बेटे विकास किशोर और प्रभात किशोर में से किसी एक को भी प्रत्याशी नहीं बनवा सके. प्रभात किशोर सीतापुर की सिधौली सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने मनीष रावत को प्रत्याशी बनाया है.
शलभमणि त्रिपाणी को प्रत्याशी बनाया है
बीजेपी ने एसपी बघेल की पत्नी को टिकट तो नहीं दिया बल्कि उन्हें जरूर करहल सीट पर अखिलेश यादव को प्रत्याशी बना दिया है. ऐसे में योगी सरकार में वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल बरेली कैंट सीट से अपने बेटे आशीष अग्रवाल को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी ने संजीव अग्रवाल को प्रत्याशी बना दिया है.
योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अपनी पथरदेवा सीट से उनके बेटे सुब्रत शाही चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, पर पार्टी ने उनके बेटे के बजाय उन्हें प्रत्याशी बनाया है. ऐसे ही रुद्रपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और मंत्री जयप्रकाश निषाद भी अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन पार्टी ने उनके बजाय उन्हें प्रत्याशी बनाया है.देवरिया सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है. कलराज मिश्रा देवरिया सीट से सांसद रहे हैं और अब उनके बेटे अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी पिच पर उतरना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने शलभमणि त्रिपाणी को प्रत्याशी बनाया है.
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान ने अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मधुबन विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं लेकिन इसी सीट के लिए बीजेपी नेता रामजी सिंह के पुत्र अरिजीत सिंह ने भी अपनी नज़र राखी है पर इसके लिए अब तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं है.
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