भेड़ियों के बीच बचपन था बीता, आइये जानते हैं रियल लाइफ़ ‘मोगली’ के बारे में । ‘मोगली लेजेंड ऑफ़ द जंगल’ का हिंदी वर्जन आपने देखा ही है। वैसे अब तक हमने मोगली के बारे में जितना जाना और देखा है वो सिर्फ फिल्मों और टीवी में ही देखा है | इसके अलावा हमने मोगली के बारे में किताबों में भी पढ़ा है|
पर इस दौरान क्या आपको रियल लाइफ़ मोगली के बारे में जानने का भी मन हुआ ? क्या आपने कभी सोचा कि मोगली असल जिंदगी में भी होते है या नहीं ? अगर हाँ, तो चलिए आज हम आपको असली मोगली के बारे में बताते हैं |
ये है असली मोगली की कहानी
ये कहानी है एक ऐसे लड़के की जिसने अपनी ज़िंदगी का आधा हिस्सा भेड़ियों के बीच रह कर बिताया | एक ऐसा लड़का जिसे न मानवता का मतलब पता था और न ही उनका रहन-सहन| 1872 की बात है, कुछ शिकारी जंगलों की ओर शिकार करने के लिये निकले थे| इस दौरान जंगल में शिकारियों को भेड़ियों के साथ-साथ एक मानव आकृति नज़र आई| इसके बाद देखते ही देखते भेड़िए पास बनी गुफ़ा में घुस गये, जिसके बाद शिकारियों ने वहां आग लगा दी और भेड़ियों के बाहर निकलते ही उनका शिकार कर, उस बच्चे को अपने कब्ज़े में ले लिया|
इसके बाद शिकारी Dina नामक इस लड़के को अनाथालय ले आये | वहां उसे ‘सनिचर’ नाम दिया गया| अनाथालय में कई प्रयासों के बाद भी वो आम इंसानों की बोलचाल नहीं सीख पाया| अगर कोई बात करने की कोशिश करता, तो वो जानवरों की तरह आवाज़ निकालने लगता। वहीं अनाथालय के Father Erhardt का कहना था कि कई चीज़ों में उसने अपनी क्षमता का प्रदर्शन भी किया था। Dina करीब दो दशकों तक इंसानों के बीच रहा| लेकिन इसके बाद भी वो कभी शर्ट-पैंट पहनना नहीं सीख पाया। यही नहीं, खाने में भी वो सिर्फ़ कच्चा मांस खाना पसंद करता था। इसके अलावा अपने दातों को शॉर्प करने के लिये हड्डियों का इसतेमाल करता था ।
इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि Rudyard Kipling की मोगली इसी बच्चे से प्रेरित थी। हांलाकि, उसकी मृत्यु कब हुई इसका अब तक पता नहीं लग पाया है। पर रिपोर्ट्स के अनुसार, 1895 में Tuberculosis के कारण उसकी मौत हो गई थी।
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