इस बात का खुलासा एक रिसर्च में हुआ है, शोध में यह भी दावा किया जा रहा है कि यही वजह है कि यह कोरोना का यह वैरिएंट बाकियों की तुलना में ज्यादा तेजी से फैल रहा है.
त्वचा पर 21 घंटे जीवित रहता है ओमीक्रोन
जापान में क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है. शोधकर्ताओं ने त्वचा पर वायरस के जीवन चक्र का पता लगाने के लिए कैडवर (शव) पर परीक्षण किया है। कैडवर के त्वचा पर वायरस का मूल रूप 8.6 घंटे, अल्फा 19.6, बीटा 19.1, गामा 11 घंटे, डेल्टा 16.8 घंटे, जबकि ओमिक्रोन 21.1 घंटे तक जीवित पाया गया है.
ओमीक्रोन ले सकता है डेल्टा वेरिएंट की जगह
शोध के अनुसार कोरोना वायरस के इससे पहले के वेरिएंट अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा इतने लंबे समय तक मानव शरीर पर जिंदा नहीं रह पाते थे. शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमीक्रोन वेरिएंट की पर्यावरण में स्थिरता ज्यादा है. ऐसे में यह अधिक संक्रामक हो सकता है. संभव है कि यह डेल्टा वेरिएंट की जगह ले ले. संक्रमण क्षमता तेज होने के कारण ही दुनियाभर में इसके ज्यादा मरीज मिल रहे हैं.
प्लास्टिक की सहत पर 8 दिन जीवित रहता है ओमीक्रोन
रिसर्चरों का कहना है कि ज्यादा समय तक सतह पर जिंदा रहना वायरस के प्रसार में योगदान दे सकती है। शोध में पता चला है कि प्लास्टिक की सतहों पर वायरस का ओरिजनल स्ट्रेन 56 घंटे, अल्फा स्ट्रेन 191,3 घंटे, बीटा 156,6 घंटे, गामा 59.3 घंटे और डेल्टा वैरिएंट 114 घंटे तक जीवित रहने में सक्षम था. वहीं, कोरोना वायरस का लेटेस्ट वैरिएंट ओमिक्रॉन 193।5 घंटे तक जीवित रह सकता है.
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