झारखंड की सवा तीन करोड़ आबादी के लिए रिम्स सरकारी अस्पताल किसी वरदान से कम नहीं है |
पड़ोसी राज्यों के मरीज
सिर्फ झारखंड बल्कि पड़ोसी राज्यों के मरीज भी इलाज के लिए यहां अक्सर पहुंचते हैं. 1500 बेड की क्षमता से लैस कई महत्वपूर्ण विभाग वाले इस अस्पताल में सुरक्षा की जिम्मेवारी पिछले 7 सालों से एक ही कंपनी संभाल रही है. सरकारें आयी और गयी भी, लेकिन एवरेस्ट ह्यूमन रिसोर्स कंसल्टेंट नाम की कंपनी का वर्चस्व रिम्स में कायम है. जानाकरी के अनुसार, मेजर विजय कृष्णन कंपनी का संचालन कर रहे हैं और कंपनी को रांची के एक स्थानीय अफसर खान बबलू का संरक्षण प्राप्त है |
एवरेस्ट ह्यूमन रिसोर्स कंसल्टेंट कंपनी में काम करने वाले लोगों की संख्या 448 है. इनमें 378 सिक्यूरिटी गार्ड और 70 ट्रॉलीमैन हैं. इन्हें काम के एवज में प्रति दिन 213 रुपये का भुगतान किया जाता है. यानी प्रति माह इनकी सैलरी 6603 रुपये है, जबकि श्रम विभाग ने 1 माह पूर्व ही रिम्स प्रबंधन को पत्र भेजकर प्रतिदिन 296 रुपये (9200 रुपये) पीएफ काटकर प्रति माह भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया है|
कोरोना संक्रमण के दौरान
ड्यूटी निभाते हुए एक सुरक्षाकर्मी की मौत भी हो चुकी है. बावजूद इसके अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है. वहीं महीने में इन्हें 30 दिन ड्यूटी करनी पड़ती है. कोई छुट्टी भी नहीं मिलती है. पिछले 1 महीने से बिना सैलरी के ड्यूटी पर तैनात हैं
कई बार सुरक्षाकर्मियों के होने के बाद भी रिम्स में परिजनों और डॉक्टरों के बीच दुर्व्यव्हार होता रहा है. कई बार जूनियर डॉक्टरों ने परिजनों के साथ बदतमीजी की है. कई बार महिला डॉक्टरों को छेड़खानी का शिकार होना पड़ा है. कई बार जमकर हंगामा हुआ. डॉक्टरों ने ओपीडी ठप कर दिया. मरीजों और उनके परिजनों को भी धरना देना पड़ा और थाने तक का सहारा लेना पड़ा |
पिछले साल आठ फरवरी
एक पीजी महिला डॉक्टर के साथ अभय कुमार नामक युवक ने छेड़खानी की थी. रिम्स के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी होने के बाद भी महिला डॉक्टर के साथ स्कीन विभाग में ही छेड़खानी को अंजाम दिया गया था. हालांकि बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए युवक को हिरासत में ले लिया था |
रिम्स में अक्सर परिजन और डॉक्टरों के बीच मारपीट की घटना होती रहती है.
पिछले साल जून महीने में बोकारो के रहने वाले एक मरीज की मौत हो गयी थी. मौत के बाद परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया तो जूनियर डॉक्टरों ने परिजनों को ही जमकर पीटा. सुरक्षाकर्मी बस देखते रह गये. बाद में बरियातू थाना ने पहल कर सुलह कराया. इस दिन करीब पांच घंटे पूरी तरह से इमरजेंसी ठप कर दिया गया था |
रिम्स में मौजूद सुरक्षाकर्मी मरीजों के परिजन को मार खाने से एक बार भी नहीं बचा पाते हैं. जब डॉक्टर एक साथ किसी परिजन पर हावी हो जाते हैं, तो बस वे देखते रह जाते हैं. 21 दिसंबर को धनेश्वरी देवी का ईलाज चल रहा था. डॉक्टर से परिजन ने दवा के लिए पूछा, तो मरीज पर चिल्लाने लगे. परिजन ने कहा कि आप लिखकर बता दें कि दवा नहीं है, इस पर डॉक्टरों ने परिजन को जमकर पीटा |
वहीं रिम्स में लंबे समय से एक ही कंपनी के द्वारा सुरक्षा का जिम्मा संभालने के मामले पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टेंडर के लिए आदेश कर दिया गया है और बहुत जल्द इसमें बदलाव दिखेगा |
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