नवंबर 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन ने अमेरिकी इतिहास में सबसे ज्यादा वोट पाने का रिकॉर्ड बनाया था. गुरुवार को व्हाइट हाउस में वे अपना एक साल पूरा करेंगे. इस मौके पर उन्हें साल के अंदर ही सबसे ज्यादा अलोकप्रिय हो जाने वाला राष्ट्रपति समझा जा रहा है. इस मौके पर जारी ज्यादातर जनमत सर्वेक्षणों में उनकी एप्रूवल रेटिंग (उनके काम से संतुष्ट लोगों का प्रतिशत) 35 से 42 फीसदी तक बताई गई है.जो बाइडन की इस स्थिति का एक बड़ा कारण देश के अंदर उनके एजेंडे का लगभग पूरी तरह अटके रहना माना जा रहा है.
अमेरिका इस वक्त कोरना वायरस महामारी के बुरे दौर में है.
विदेशी मोर्चों पर भी उनकी कामयाबी की कोई कहानी नहीं है. इस बीच अमेरिका इस वक्त कोरना वायरस महामारी के बुरे दौर में है. इसी हफ्ते महामारी आने के बाद से कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या का रिकॉर्ड बना है.थिंक टैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में शासन संबंधी अध्ययन विषय के सीनियर फेलॉ बिल गैलस्टन ने अखबार द गार्जियन से कहा- ‘जब कभी कोई राष्ट्रपति अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है, तो समस्या खड़ी होती है. बाइडन प्रशासन अपेक्षाओं को संभालने में सफल नहीं हुआ है।’ गैलस्टन पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के समय व्हाइट हाउस के नीति संबंधी सलाहकार रह चुके हैं.
कोरोना महामारी के अलावा बाइडन की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान अफगानिस्तान की घटनाओं से पहुंचा.
विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना महामारी के अलावा बाइडन की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान अफगानिस्तान की घटनाओं से पहुंचा. गैलस्टन ने कहा- ‘हम जिस तरह अफगानिस्तान को छोड़ आए, उससे राष्ट्रपति की आम छवि पर असर पड़ा और उनकी क्षमता पर सवाल उठे. ये धारणा अब तक बनी हुई है.रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप विरोधी गुट की प्रमुख रणनीतिकार सराह लॉन्गवेल के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में बाइडन के प्रदर्शन के बारे में पूछने पर फिलहाल डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक ज्यादातर मतदाता उन्हें सी, डी, या एफ ग्रेड दे रहे हैं। लॉन्गवेल ने कहा कि वैसे कई ऐसे मतदाता भी हैं, जो मौजूदा हालत के लिए बाइडन को नहीं, बल्कि कठिन समय को दोषी मानते हैं.
आम समझ है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल की मध्य अवधि में होने वाले चुनावों में सत्ताधारी दल को नुकसान होता है.
बाइडन के बारे में नकारात्मक धारणा क्यों बनी, ये सवाल व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी से भी पूछा गया. इसके लिए कोरोना महामारी को दोषी ठहराते हुए उन्होंने कहा- ‘पूरे देश में लोग थकान का शिकार हैं। इसका असर उनकी जिंदगी और उनके काम पर पड़ा है.लोग अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। वे समारोहों या रेस्तरां में जाने या अपने दोस्तों से मिलने-जुलने की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हम इसे समझते हैं.डेमोक्रेटिक पार्टी की इस वक्त सबसे बड़ी चिंता नवंबर में होने वाले संसदीय चुनाव हैं. आम समझ है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल की मध्य अवधि में होने वाले चुनावों में सत्ताधारी दल को नुकसान होता है. लेकिन अगर राष्ट्रपति अलोकप्रिय हो, तो ये नुकसान बहुत ज्यादा हो जाता है.
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